भाजपा 79 सीटें हेरफेर से जीती है, लोकसभा चुनाव में धांधली की आशंका पर बोली कांग्रेस
लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में वृद्धि को लेकर कांग्रेस ने जताई धांधली की आशंका, चुनाव आयोग को घेरते हुए बोले संदीप दीक्षित- अगर धांधली हुई है तो भाजपा 79 सीटें हेरफेर से जीती है।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयत और चुनाव आयोग की निष्पक्षता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इसी बीच ADR ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में 538 सीटों में पड़े कुल वोटों और गिने गए वोटों की संख्या में अंतर दिखा है। रिपोर्ट सामने आने के बाद धांधली की आशंका गहरा गई है। इसी बीच अब कांग्रेस ने कहा है कि अगर धांधली हुई है तो भाजपा 79 सीटें हेरफेर से जीती है।
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने वोट फॉर डेमोक्रेसी नाम की संस्था की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस संस्था ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव परिणामों पर एक विश्लेषण किया है। विश्लेषण के मुताबिक, मतदान वाले दिनों पर चुनाव आयोग द्वारा घोषित किए गए मतों के आंकड़ों और अंतिम मतदान प्रतिशत में बहुत अंतर है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत अंतर 4.7 प्रतिशत का है तो क्या ये चुनाव नतीजे सही थे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदान के हर चरण के कई दिन बाद उस चरण के मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़े दिए। ये तब है, जब कहा जाता है कि ईवीएम से बेहतर कुछ नहीं है, ईवीएम से हर चीज पता चल जाती है।
दीक्षित ने कहा, 'ईवीएम से जब वोटिंग शुरू होती है तो हर दो घंटे में चुनाव आयोग को आंकड़े भेजने होते हैं कि बूथ पर कितनी वोटिंग हुई है। अगर राज्यों के स्तर पर देखें तो पता चलेगा कि आश्चर्यजनक तरीके से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 12.5 प्रतिशत वोट बढ़ जाता है। संयोग है कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भाजपा और उसके गठबंधन ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन, ईवीएम के जमाने में आंकड़ों में ऐसा अंतर पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।'
दीक्षित ने कहा, 'जब चुनाव आयोग से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम इंटरनेट जैसी समस्याओं के कारण पूरी जानकारी नहीं दे पाते थे। लेकिन चुनाव आयोग ने एक और आंकड़ा जारी किया, जिसका जवाब ही उनपर सवाल खड़े करता है। जैसे चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 में भी हम कुछ चरणों में देरी से डेटा दे पाए थे। लेकिन उस समय भी सात बजे जारी किए गए डेटा और मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़ों एक प्रतिशत से भी कम का अंतर था।'
दीक्षित ने कहा, 'चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन अगर संवैधानिक संस्था के काम लोकतंत्र पर सीधे असर करते हैं तो अपना पक्ष रखना उनकी जिम्मेदारी बनती है। इस रिपोर्ट में कई तरीके से विश्लेषण किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि कौन कितने अंतर से जीता है और कहां कितना वोट प्रतिशत बढ़ा है। संस्था ने तमाम संसदीय क्षेत्रों में जीत और हार का अंतर देखा। संस्था ने पाया कि देश में 79 ऐसी सीटें हैं, जहां मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी भाजपा की जीत के मामूली अंतर से अधिक है। यानी अगर यह माने कि यह जो वोट बढ़े थे, इसमें अगर कोई धांधली हुई है तो 79 सीटें ऐसी हैं, जो भाजपा इस हेरफेर से जीती है।'
दीक्षित ने चुनाव आयोग से वोट फॉर डेमोक्रेसी की रिपोर्ट पर जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के कारण आयोग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि वह इस पर संतोषजनक जवाब नहीं देता है तो यह गंभीर प्रश्न बनेगा।