विचारधारा से जुड़े बगैर राजनीति में सफल नहीं हो सकते, युवा कांग्रेस के महाधिवेशन में बोले दिग्विजय सिंह

राहुल जी ठीक कहते हैं "डरो मत"। मैं उस इलाके से आता हूं जो RSS की नर्सरी रही है। जहां जनसंघ बेहद मजबूती से काम करता रहा है। भाजपा की जड़ें मजबूत है लेकिन मैं कभी इनसे डरा नहीं हूं। हमेशा इनका मुकाबला करता रहा हूं और इसलिए हमेशा इन्हें मात दी है: दिग्विजय सिंह

Updated: Jul 28, 2023, 10:10 AM IST

बेंगलुरु। अखिल भारतीय युवा कांग्रेस द्वारा बेंगलुरू में बेहतर भारत की बुनियाद को लेकर आयोजित महाधिवेशन का आज दूसरा दिन है। कांग्रेस के कद्दावर नेता व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस महाधिवेशन को संबोधित करने विशेष रूप से बेंगलुरु पहुंचे। सिंह ने महाधिवेशन को संबोधित करते हुए देशभर के युवाओं से कहा कि राजनीति में सफल होने के लिए गांधी और नेहरू की विचारधारा से जुड़ना आवश्यक है। विचारधारा से जुड़े बगैर राजनीति में सफल नहीं हो सकते।

सिंह ने अपने संबोधन के शुरुआत में कहा, 'यहां सभी नौजवान साथियों आप ये मत समझिए की हम नौजवान नहीं हैं, हम भी नौजवान हैं। हमारे बीच 88 वर्ष के नौजवान पंडित करुणा प्रसाद मिश्रा भी मौजूद हैं। जिन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लिया था। 
यह आयोजन बेहतर भारत की बुनियाद रखने के लिए किया गया है। आज मैं यह कहना चाहता हूं कि भारत को आजाद कराने में 1947 के पहले कांग्रेस पार्टी के सामने जो चुनौतियां थी, आज एक बार फिर हमारे सामने वो सारी चुनौतियां हैं। आज तो उससे भी ज्यादा चुनौतियां हैं क्योंकि हम विदेशी गोरों से नहीं बल्कि भारत के ही चोरों से लड़ाई लड़ रहे हैं।'

दिग्विजय सिंह ने आगे कहा, 'मैं भी युवा कांग्रेस का महामंत्री था। जिला कांग्रेस महामंत्री के पद से मेरी दलगत राजनीति शुरू हुई थी। मैं विधायक बना उसके बाद प्रदेश युवा कांग्रेस का महामंत्री बना। मैं छात्र जीवन में कभी राजनीति में नहीं रहा। मुझे पीजी करने यूएस जाना था लेकिन पारिवारिक कारणों से मुझे वापस घर लौटना पड़ा। वो व्यक्ति जिसे राजनीति से कोई लेना देना नहीं था, लेकिन राघौगढ़ के लोगों ने मिलकर मुझे नगर पालिका अध्यक्ष बना दिया। तब आरएसएस के लोग मुझपर डोरे डालने लगे। राजमाता सिंधिया ने कहा कि मुझे जनसंघ में शामिल होना चाहिए। मुझे आरएसएस के लोगों ने गोलवलकर की Bunch of Thouths, Nationhood Defined पुस्तकें दी। तब मुझे गोविंद नारायण सिंह ने कहा कि इनकी बातों में मत आओ। गांधी और नेहरू को भी पढ़ो तब कोई फैसला करना। मैंने गुरु गोलवलकर को पढ़ा, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को भी पढ़ा और रामधारी सिंह दिनकर के संस्कृति के चार अध्याय पढ़े और निश्चय किया कि मुझे कांग्रेस में शामिल होना चाहिए।'

सिंह ने कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आए देशभर के नौजवानों से कहा कि आप राजनीति में क्यों आना चाहते हैं? पद, शोहरत या पैसे के लिए? राजनीति में आना है तो विचारों से जुड़ें। जबतक विचारधारा से नहीं जुड़ोगे तबतक राजनीति में सफल नहीं। सारी किताबें पढ़ो। देश में एक विचारधारा नेहरू और गांधी की है, दूसरी आरएसएस की और तीसरी मार्क्सवादी विचारधारा है। देश में मार्क्सवादी विचारधारा सफल नहीं हो सकता क्योंकि ये धार्मिक आस्था का देश है। इसलिए विकल्प बचता है कि या तो आप गांधी और नेहरू के रास्ते पर चलो, प्रेम और सद्भाव के रास्ते पर चलो या फिर आरएसएस की विभाजनकारी विचारधारा पर चलो। आरएसएस की अपनी कोई विचारधारा नहीं है। मूलरूप इनकी विचारधारा अंग्रेजों की डिवाइड और रूल की पॉलिसी पर आधारित है।'

सिंह ने कहा, 'नफरत की आग बुझाने का एक ही रास्ता है नेहरू और गांधी की विचारधारा। ये भारत का जो भौगोलिक स्वरूप है, इतनी विभिन्नता किसी देश में नहीं है। यहां विभिन्न धर्म और जातियां हैं। इनमें शांति के लिए प्रेम जगाना पड़ेगा। आज देश में हिंदू धर्म को हिंदुत्व से जोड़ा जा रहा है। हमारा सनातन धर्म वो धर्म है जहां हमेशा से हमने सभी धर्मों का सम्मान किया। सर्व धर्म समभाव ही सनातन का आधार है। उसी तरह से जिस तरह अनेक नदी-नाले चलते हैं और अंत में समुद्र में मिल जाते हैं। सनातन धर्म का मूल आधार इंसानियत का है और कांग्रेस का रास्ता भी इंसानियत का ही है। आप इंसानियत के रास्ते पर चलेंगे तो आपका भविष्य उज्ज्वल होगा।'

पूर्व सीएम ने आगे कहा, 'प्रश्न इस बात का है कि हम इन विघटनकारी शक्तियों से कैसे लड़ेंगे। इस युग में संगठन का बड़ा महत्व है। मैं पूछता हूं कि आपने कभी आरएसएस को प्रदर्शन करते देखा? पब्लिक मीटिंग करते देखा? वे सिर्फ अफवाह और नफरत फैलाकर अपना कैंपेन चलाते हैं। इनका सबसे बड़ा अफवाह है की हिंदू धर्म खतरे में हैं। हे महानुभावों जब पांच सौ साल देश में मुस्लिमों का राज रहा तो हिंदू धर्म खतरे में नहीं आया, दो सौ साल ईसाइयों का राज रहा तब खतरा नही हुआ, आज जब ऊपर से नीचे तक सभी हिंदू हैं तो धर्म को खतरा कैसे हो गया? ये कैंपेन करते हैं मुस्लिमों की आबादी बढ़ रही है और वे आने वाले समय में बहुसंख्यक हो जाएंगे। मैं इस बात को प्रमाणित कर सकता हूं कि में मुसलमानों की संख्या भी उतनी ही तेजी से कम हो रही है, जितनी तेजी से हिंदुओं की जनसंख्या कम हुई। देश में हिंदुओ की जनसंख्या 2.1 तक आ चुकी है। मुस्लिमों की 2.6 है। किसी भी हालत में देश में मुसलमानों की आबादी 18 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। कोई भी आरएसएस का व्यक्ति इस मुद्दे पर मुझसे बहस कर सकता है।'

पूर्व सीएम ने आगे कहा, 'राहुल जी ठीक कहते हैं डरो मत। मैं उस इलाके से आता हूं जो आरएसएस की नर्सरी रही है। जहां जनसंघ बेहद मजबूती से काम करता रहा है। भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत है लेकिन मैं कभी इनसे डरा नहीं हूं। हमेशा इनका मुकाबला करता रहा हूं और इसलिए हमने हमेशा इन्हें मात दी है। आपने डर पर काबू पा लिया तो आरएसएस कभी सफल नहीं हो सकती। आप बेहतर भारत की बुनियाद तभी रख पाएंगे जब सर्व धर्म सम्भाव का संदेश घर घर तक पहुंचाएंगे। आप नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलेंगे।'