CBI Enquiry in Hathras Case: हाथरस कांड में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिए सीबीआई जांच के आदेश

Hathras Case Update: राहुल-प्रियंका के दौरे के दौरान हुआ एलान, पीड़िता की भाभी ने कहा कि हमें CBI नहीं, कोर्ट की निगरानी में जांच चाहिए

Updated: Oct 04, 2020, 10:52 AM IST

Photo Courtesy: Aaj Tak
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लखनऊ। हाथरस कांड की जांच अब सीबीआई करेगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के दफ्तर ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। ट्वीट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस केस की जांच सीबीआई से कराए जाने के आदेश दिए हैं। यूपी सरकार की ओर से ये आदेश ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी पीड़िता के परिवार से मिलने पहुंचे और दोनों ने बंद कमरे में पीड़िता के परिवार से मुलाकात की।

हालांकि सरकार के इस आदेश के बाद गैंगरेप पीड़िता की भाभी ने मीडिया से कहा कि हम मामले की सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि केस की न्यायिक जांच हो। हम जज की निगरानी में जांच चाहते हैं। पीड़िता की भाभी ने कहा कि हमारी दीदी को न्याय मिलना चाहिए। पीड़िता के परिवार का कहना है कि  उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की ही नहीं की थी। पीड़िता के भाई ने कहा कि हमारे सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। जितनी चाहे उतनी जांच होती रहे। हमें डीएम से शिकायत है। हम खुश तभी होंगे जब हमारे सवालों के जवाब मिलेंगे। हमें यह तो बताया जाए कि हमारी बहन का अंतिम संस्कार ऐसे क्यों किया गया। 

इस दौरान पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं प्रियंका गांधी ने पीड़िता की मां को गले लगाया और सांत्वना दी। परिवार से मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी ने कहा कि हम अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे। परिवार आखिरी बार अपनी बच्ची का चेहरा नहीं देख पाया। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक हम लड़ेंगे। परिवार न्यायिक जांच चाहता है।

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इस बीच, ये केस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत में एक जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से पूरे मामले का संज्ञान लेने की मांग की गई है। याचिका में हाईकोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई है, ताकि एक भी दोषी बच न पाए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में दोषी पुलिस वालों और मेडिकल ऑफिसर्स को तत्काल सस्पेंड कर उनके खिलाफ करवाई की भी मांग की गई है। सुषमा मौर्या की ओर से दाखिल इस याचिका में ऐसे मामलों के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाने की मांग भी की गई है, ताकि भविष्य में किसी पीड़ित परिवार का कानून से भरोसा न उठे।

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