IPL 2026 में बांग्लादेशी खिलाड़ियों पर बैन की मांग, उज्जैन के साधु-संतों ने BCCI को दी चेतावनी

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में भारत के साधु-संत सड़कों पर उतर आए हैं। उज्जैन में संतों ने IPL 2026 में बांग्लादेशी खिलाड़ियों को बैन करने की मांग की और ऐसा ना करने पर पिच उखाड़ने की चेतावनी दी है।

Updated: Dec 27, 2025, 05:07 PM IST

उज्जैन। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार और दो लोगों की हत्या के विरोध की आग अब भारत में तेजी से फैलती जा रही है। देश भर में हिंदूवादी संगठनों के साथ उज्जैन के साधु-संत भी खुलकर विरोध में उतर आए हैं। संतों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भारत में बांग्लादेशी खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये में खरीदा जा रहा है जो अस्वीकार्य है। बता दें कि आईपीएल 2026 की नीलामी में कोलकाता नाइट राइडर्स द्वारा 9.2 करोड़ रुपये में खरीदे गए बांग्लादेशी तेज गेंदबाज मुस्तफिजुर रहमान को लेकर विरोध सबसे अधिक भड़क गए हैं।

उज्जैन के नागा साधुओं व साधु-संतों ने घोषणा की है कि आगामी आईपीएल सीजन में किसी भी बांग्लादेशी खिलाड़ी को मैदान में उतरने नहीं दिया जाएगा। उनका कहना है कि भारत के एक राज्य से भी छोटा देश हिंदुओं पर अत्याचार कर रहा है और यहां के उद्योगपति क्रिकेट के नाम पर उन्हें करोड़ों रुपये दे रहे हैं। उनका कहना है कि ये अब और नहीं चलेगा। संतों ने चेतावनी दी है कि अगर किसी बांग्लादेशी खिलाड़ी को खेलने का मौका दिया गया तो वे स्टेडियम के बाहर ही नहीं बल्कि मैदान में भी विरोध दर्ज कराएंगे।

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ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के गादीपति महावीर नाथ ने कहा कि यदि मुस्तफिजुर रहमान या कोई अन्य बांग्लादेशी खिलाड़ी भारत में आईपीएल खेलने आता है तो साधु समाज पिच उखाड़ने तक की कार्रवाई कर सकते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने पाकिस्तान मैच रोकने के लिए पिच खुदवाई थी उसी तरह नागा साधुओं की टोली भी हंगामा कर सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि अगर बांग्लादेशी खिलाड़ियों को खिलाया गया तो साधु-संत सड़कों पर उतरेंगे मैदान में घुसेंगे और मैच रुकवाएंगे।

रामादल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं को जलाया जा रहा है, मंदिर तोड़े जा रहे हैं और सरकार चुप है। भारत की केंद्र सरकार को तुरंत सख्त कदम उठाने चाहिए। हिंदुस्तान में खिलाड़ियों की कोई कमी तो नहीं है। फिर क्यों बांग्लादेश के खिलाड़ियों को प्रमोट किया जा रहा है? 

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इसी बीच महंत विशाल दास ने देश के उद्योगपतियों को भी सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा की जो लोग बांग्लादेशी खिलाड़ियों को खरीद रहे हैं उन पर देशद्रोह जैसा कदम उठाने का विचार होना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत के युवा खिलाड़ियों को नजरअंदाज कर विदेशी खिलाड़ियों को मौका देना अपमानजनक है। साधु-संतों ने साफ कर दिया है कि बांग्लादेशी खिलाड़ियों को आईपीएल से हटाने की मांग सिर्फ अपील नहीं बल्कि एक चेतावनी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और क्रिकेट बोर्ड कदम नहीं उठाता तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा और स्टेडियमों के बाहर बहिष्कार, जुलूस और प्रदर्शन होंगे।

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