केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का अपने ही इलाक़े में विरोध, किसानों-मंत्री समर्थकों की झड़प में कई घायल

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का मुज़फ़्फ़रनगर के सोरम गांव में हुआ विरोध, इससे पहले रविवार को शामली के भैंसवाल में भी बालियान को किसानों का विरोध झेलना पड़ा था

Updated: Feb 22, 2021, 02:52 PM IST

Photo Courtesy : Amar Ujala
Photo Courtesy : Amar Ujala

मुजफ्फरनगर। केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान को अपने ही इलाके में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। आज मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में पहुंचे बालियान का किसानों ने विरोध कर दिया तो मंत्री के समर्थक उनसे उलझ पड़े। आरोप है कि पहले मंत्री समर्थकों ने विरोधियों को पीटा, जिसके बाद स्थानीय लोगों के साथ उनका टकराव हो गया। इस झड़प में कई लोगों के घायल होने की खबर है। बालियान मुजफ्फरनगर से ही बीजेपी के सांसद हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बालियान का विरोध किए जाने का यह पहला वाकया नहीं है। इससे पहले रविवार को शामली के भैंसवाल गांव में भी बालियान के काफिले को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। इससे पहले हरियाणा में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत बीजेपी के कई नेताओं-मंत्रियों को किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। लेकिन उत्तर प्रदेश में भी अगर ऐसी स्थिति बनती जा रही है तो यह बीजेपी के लिए काफी चिंता की बात होगी।

सोमवार को मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में बालियान समर्थकों और किसानों के बीच हुए टकराव के बाद इलाक़े के किसानों ने पंचायत भी की। इस पंचायत में शामिल लोगों ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के साथ आए लोगों पर किसानों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया। बताया जा रहा है कि यह सारा झगड़ा तब शुरू हुआ जब केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान मुज़फ़्फ़रनगर के सोरम गांव में एक तेरहवीं में शामिल होने गए। आरोप है कि वहाँ कुछ लोगों ने बालियान का विरोध कर दिया तो बीजेपी नेता के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया। बालियान का विरोध कर रहे युवकों को पीटे जाने की ख़बर मिलने पर स्थानीय किसान जमा हो गए, जिसके बाद उनके और बीजेपी नेता के समर्थकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। इस झगड़े में दोनों तरफ़ के कई लोगों के ज़ख़्मी होने की ख़बर है।

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के लौटने के बाद सोरम गांव में पंचायत भी की गई। पंचायत में आरोप लगाया गया कि संजीव बालियान के साथ आए लोगों ने ही किसानों पर हमला किया था। इस पंचायत में चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के पूर्व मंत्री योगराज सिंह और राजपाल बालियान भी पहुंचे। आरएलडी के नेताओं ने केंद्रीय मंत्री के समर्थकों पर मारपीट का आरोप लगाते हुए इस घटना पर नाराज़गी ज़ाहिर की है। ख़बर है कि अब किसानों की तरफ़ से इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी हो रही है।

आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने इस बारे में ट्वीट करके नाराज़गी ज़ाहिर की है। जयंत चौधरी ने ट्विटर पर लिखा है, “सोरम गाँव में बीजेपी नेताओं और किसानों के बीच संघर्ष, कई लोग घायल! किसान के पक्ष में बात नहीं होती तो कम से कम, व्यवहार तो अच्छा रखो। किसान की इज़्ज़त तो करो! इब कानूनों के फायदे बताने जा रहे सरकार के नुमाइंदों की गुंडागर्दी बर्दाश्त करेंगे गाँववाले?”

 

 

मुज़फ़्फ़रनगर की यह घटना बता रही है कि बीजेपी नेता किसान आंदोलन का समाधान निकालना तो दूर, किसानों के साथ सही ढंग से बर्ताव करने में भी नाकाम साबित हो रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी यूपी के बीजेपी नेताओं को जिम्मेदारी दी है कि खापों के बीच जाकर कृषि कानूनों के प्रति उनके विरोध को दूर करें। लेकिन किसानों की नाराज़गी ख़त्म करना तो दूर, गाँवों में उनके दौरे भी विरोध की वजह बनते जा रहे हैं। इससे पहले केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान को रविवार को भी किसानों का विरोध झेलना पड़ा था। बालियान का क़ाफ़िला रविवार को शामली के भैंसवाल गांव पहुंचा था। जहां खाप के चौधरियों ने उनसे मिलने से साफ इनकार कर दिया। किसानों ने बालियान का विरोध करते हुए नारा दे दिया कि पहले तीनों कानून वापस कराओ, फिर गांव में आओ।

हालांकि किसानों के विरोध के बावजूद केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान अपने तेवर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने गाड़ी पर खड़े होकर कहा कि सिर्फ 10 लोगों के विरोध करने से मुर्दाबाद नहीं होता। मैं किसानों के बीच जाता रहूंगा। लेकिन सोमवार को मुज़फ़्फ़रनगर की घटना बता रही है कि किसानों की नाराज़गी उनकी माँगों को मानने से दूर होगी, सिर्फ़ नेताओं के मिलने जुलने और भाषणों से नहीं। दरअसल, किसान और खापों के चौधरी इस बात से भी बेहद ख़फ़ा हैं कि जब सरकार पहले दिन से किसानों के आंदोलन को सिर्फ एक प्रदेश के चंद किसानों की नाराज़गी बता रही है और बीजेपी के नेता-मंत्री लगातार किसानों को अपमानित करने वाले बयान देते रहते हैं, तो फिर अब अचानक वे यूपी में किसानों को मनाने क्यों आ रहे हैं? इन घटनाओं के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों से मिलकर उनकी नाराज़गी दूर करने की बीजेपी की रणनीति कहीं उलटी तो नहीं पड़ रही है?