काला धन रखने वालों का नाम उजागर क्यों नहीं करती सरकार, ब्लैक मनी में बढ़ोतरी पर कांग्रेस का वार

स्विस बैंकों में तेजी से बढ़े भारतीयों के पैसे, 20 हजार 700 करोड़ रुपए जमा, कोरोना काल में ब्लैक मनी डिपॉजिट में टूटे 13 साल के रिकॉर्ड, कांग्रेस बोली- ये कौन लोग हैं जो आपदा में अवसर ढूंढ रहे

Updated: Jun 18, 2021, 01:18 PM IST

Photo Courtesy : India TV
Photo Courtesy : India TV

नई दिल्ली। कोरोना काल में ब्लैक मनी में हुए अभूतपूर्व बढ़ोतरी का मुद्दा गरमा गया है। कालाधन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। विपक्षी दल ने कहा है कि कालेधन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को श्वेत पर जारी करने को कहा है। कांग्रेस ने पूछा है कि ये किनके पैसे हैं? कौन लोग हैं जो आपदा में अवसर ढूंढ रहे हैं? सरकार उनके नाम जारी क्यों नहीं करती?

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित के दौरान कहा, 'कोरोना काल में स्विस बैंकों में कुल जमा पैसे साल 2019 की तुलना में बढ़ कर 286 प्रतिशत हो गई। 13 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। मोदी सरकार उन लोगों के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रही, जिन्होंने पिछले साल स्विस बैंकों में अपना पैसा जमा कराया? जब 97 प्रतिशत भारतीय और ज्यादा गरीब हो गए, तो ये कौन लोग हैं, जो ‘आपदा में अवसर’ खोज रहे हैं? सरकार श्वेत पत्र लाकर देशवासियों को बताए कि यह पैसा किनका है और विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?'

यह भी पढ़ें: कालाधन वापसी का वादा: कोरोना काल में ब्लैक मनी डिपॉजिट में टूटे 13 साल के रिकॉर्ड

गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि, 'बीजेपी ने कालाधन लाने और लोगों के खातों में 15-15 लाख रुपये जमा करने का वादा किया था, लेकिन सात साल बाद भी मोदी सरकार ने इस वादे को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया।' कांग्रेस नेता ने कहा, '2014 में सत्ता में आने से पहले, बीजेपी ने दावा किया था कि भारतीयों ने 250 अरब डॉलर (17.5 लाख करोड़ रु.) अकेले स्विट्जरलैंड के बैंकों में छिपाया हुआ है। पीएम मोदी ने वादा किया था कि इन बैंकों से काले धन को वापस लाया जाएगा और प्रत्येक नागरिक के खाते में 15 लाख ट्रांसफर किया जाएगा। लेकिन मोदी सरकार ‘बातों में महारत, काम में नदारद’ सरकार साबित हुई है।'

दरअसल, स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने सालाना रिपोर्ट में बताया है कि, 'स्विस बैंकों में भारतीयों का निजी और संस्थागत एमाउंट 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपये से अधिक) तक पहुंच गया है। यह वृद्धि नकद जमा के तौर पर नहीं बल्कि प्रतिभूतियों, बांड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिए रखी गई होल्डिंग से हुई है। स्विस बैंकों में यह कोष भारत स्थित शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के जरिए रखा गया धन हैं।'

यह भी पढ़ें: बाबा का ढाबा के मालिक कांता प्रसाद ने की सुसाइड की कोशिश, दिल्ली के अस्पताल में भर्ती

रिपोर्ट्स के मुताबिक स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों का कुल धन 2019 के अंत में 89.9 करोड स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था। यह 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया। हालांकि इससे पहले लगातार दो साल तक इसमें गिरावट दर्ज की गयी थी। साल 2020 का आंकड़ा पिछले 13 साल का सर्वाधिक है। और हैरान करने वाली बात है कि कोरोना काल ने जब सभी तरह के उद्योग और व्यवसाय ठप पड़े थे, तब भारतीयों ने ब्लैक मनी जमा कराने में 13 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। स्विस बैंकों में जमा काला धन में बढ़ोतरी की खबर आने के बाद मोदी सरकार के दावों और मंशा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स इस बात को लेकर सवाल कर रहे हैं की जब देश की जीडीपी माइनस में चली गयी थी तब कालेधन में बढ़ोतरी कैसे हुई?