रिमोट वोटिंग प्रणाली का विरोध करेंगे विपक्षी दल, कांग्रेस की पहल पर सोलह विपक्षी पार्टियों में बनी सहमति

रिमोट वोटिंग प्रणाली के खिलाफ लामबंद हुआ विपक्ष, रविवार को राजधानी दिल्ली में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक, विपक्ष ने रिमोट वोटिंग सिस्टम को बताया लोकतंत्र के लिए खतरा

Updated: Jan 16, 2023, 08:29 AM IST

नई दिल्ली। देश की 16 विपक्षी पार्टियों ने रिमोट वोटिंग मशीन पर चुनाव आयोग के प्रस्ताव का विरोध करने का निर्णय लिया है। विपक्षी पार्टियों को  इसकी परिकल्पना, परिभाषा और संचालन सभी पर संदेह है। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में इन विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से यह माना कि आरवीएम का प्रस्ताव विसंगतियों से भरा है और फिलहाल तो चुनाव आयोग यह ही तय नहीं कर पाया है कि प्रवासी मजदूरों की परिभाषा में किसे शामिल किया जाएगा और किसे नहीं। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आम राय बनाने के लिए दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में सभी विपक्षी दलों के साथ रविवार को यह बैठक की। चुनाव आयोग के आरवीएम पर प्रजेंटेशन से ठीक एक दिन पहले हुई यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है।

चुनाव आयोग 16 जनवरी यानी सोमवार को सभी राजनीतिक दलों के समक्ष RVM का लाइव डेमोन्स्ट्रेशन देने वाला है। इससे एक दिन पहले विपक्षी दलों ने बैठक कर RVM का विरोध करने का निर्णय लिया है। यह चुनाव आयोग के लिए एक झटका साबित हो सकता है क्योंकि आरवीएम पर आम राय बनाने के लिए ही आयोग ने सोमवार को मीटिंग बुलायी है। कांग्रेस की तरफ से ईवीएम को लेकर बनाई गई इस कमेटी की अध्यक्षता कर रहे दिग्विजय सिंह ने विपक्षी दलों की एकजुट करने में महत्तावपूर्ण भूमिका निभायी है।

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जानकारी के मुताबिक दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में समान विचारधारा वाले 16 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। बैठक में कांग्रेस के अलावा आरजेडी, जेडीयू, शिवसेना, सीपीआई, सीपीआईएम, जेएमएम समेत तमाम प्रमुख दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बताया कि समाजवादी पार्टी और एनसीपी के नेताओं ने अपरिहार्य कारणों से बैठक में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन दोनों दलों ने इस मुद्दे अपना समर्थन संदेश भेजा है।

जानकारी के मुताबिक बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने आशंका जताते हुए कहा कि रिमोट वोटिंग प्रणाली के ज़रिए चुनाव की निष्पक्षता और ख़तरे में आ जाएगी। यह व्यवस्था सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को सियासी फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई मालूम होती है। 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने एक स्वर से रिमोट वोटिंग प्रणाली को लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया है। इस दौरान तय किया गया कि वे 25 जनवरी को एक और बैठक करेंगे और रिपोर्ट तैयार कर चुनाव आयोग को अपनी राय देंगे। चुनाव आयोग के प्रस्तुतिकरण से पहले विपक्ष का यह बैठक बेहद अहम माना जा रहा है।

टीएमसी, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस, बीजेडी, बीएसपी, डीएमके जैसे क्षेत्रीय दलों के लोग इस बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि, पूर्व में टीएमसी और डीएमके भी चुनाव आयोग के इस कदम पर अपने एतराज जाहिर कर चुके हैं। खास बात ये है कि बसपा को बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आज ही प्रेस के संबोधित करते हुए ईवीएम को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने साफ कहा कि ईवीएम में कुछ न कुछ गड़बड़ी तो जरूर है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि देश में ईवीएम को लेकर जनता के मन में आशंकाएं हैं। इसे दूर करने के लिए बेहतर होगा की आगे से चुनाव बैलेट पेपर पर कराए जाएं। 

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बता दें कि चुनाव आयोग ने 29 दिसंबर को कहा था कि उसने चुनाव में वोटरों की भागीदारी बढ़ाने के लिए घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का एक शुरुआती मॉडल तैयार किया है। 16 जनवरी को होने वाली बैठक में सभी राजनीतिक दलों के समक्ष इस मशीन का प्रदर्शन किया जाएगा। बैठक से पहले कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्षी दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे।