खतरा: अब व्हाइट फंगस ने दी दस्तक, यह ब्लैक फंगस से ज्यादा घातक, पटना में मिले मरीज

व्हाइट फंगस की चपेट में वे कोरोना मरीज आ रहे हैं, जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, व्हाइट फंगस होने की वजह भी प्रतिरोधक क्षमता की कमी है।

Updated: May 20, 2021, 11:03 AM IST

Photo courtesy: amarujala
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पटना। कोरोना संक्रमण से निजात मिला नही की अब  व्हाइट फंगस जानलेवा हो गया है। ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) से जूझ रहे पटना में व्हाइट फंगस के मरीज मिलने से अफरातफरी मच गई है। ब्लैक फंगस से ज्यादा घातक मानी जाने वाली इस बीमारी के चार मरीज पिछले कुछ दिनों में मिले हैं। व्हाइट फंगस (कैंडिडोसिस) फेफड़ों के संक्रमण का मुख्य कारण बना है। फेफड़ों के अलावा, स्किन, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, आमाशय और आंत, किडनी, और ब्रेन को भी संक्रमित कर रहा है।

पिछले 24 घंटों में बिहार के पटना में ब्लैक फंगस के 19 नए मरीज मिले हैं। एम्स में आठ, आईजीआईएमएस में नौ मरीज भर्ती हुए हैं। आईजीआईएमएस में बुधवार को दो मरीजों की सर्जरी हुई है। बताया जा रहा है अब तक सात मरीजों की सर्जरी हो चुकी है। अभी पांच मरीजों की सर्जरी होना बांकी है।


पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (PMCH) में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ. एसएन सिंह के मुताबिक, अब तक ऐसे चार मरीज मिले जिनमें कोविड-19 जैसे लक्षण थे। पर वे कोरोना नहीं बल्कि व्हाइट फंगस से संक्रमित थे। मरीजों में कोरोना के तीनों टेस्ट रैपिड एंटीजन, रैपिड एंटीबॉडी और RT-PCR टेस्ट निगेटिव थे। जांच होने पर सिर्फ एंटी फंगल दवाओं से ठीक हो गए। उन्होंने बताया कि इसमें पटना के चर्चित सर्जन भी हैं जिन्हें एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। जांच से पता चला कि वे व्हाइट फंगस से पीड़ित हैं। एंटी फंगल दवाओं के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 95 पहुंच गया।


गौरतलब है कि व्हाइट फंगस से फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण HRCT में कोरोना जैसे ही दिखाई देते हैं। इसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव होता है। HRCT में कोरोना जैसे लक्षण (धब्बे हो) दिखने पर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और फंगस के लिए बलगम का कल्चर कराना चाहिए। कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनके फेफड़ों को यह संक्रमित कर सकता है।