Corona Vaccine: भारत को साल के अंत तक मिल सकती है कोरोना वैक्सीन, DGCI ने Sputnik V के ट्रायल को दी मंजूरी

Covid 19 Vaccine: दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब भारत में करेगी इस वैक्सीन का ट्रायल, सब कुछ ठीक रहने पर भारत को मिलेंगे वैक्सीन के 10 करोड़ डोज़

Updated: Oct 18, 2020, 12:36 AM IST

Photo Courtesy: Itv
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नई दिल्ली। रूस की संभावित कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी (Sputnik V) का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल भारत में किया जा सकता है। देश की शीर्ष दवा नियामक संस्था (DGCI) ने भारतीय दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब को इस ट्रायल के लिए मंज़ूरी दे दी है। इस मंज़ूरी से भारत को इस साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन (Covid Vaccine) मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज़ ने इस संभावित वैक्सीन के ट्रायल के बारे में पिछले महीने ही रशियन डॉयरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) के साथ समझौता किया था। डीजीसीआई की मंजूरी मिलने के बाद डॉ. रेड्डीज लैब्रोटरीज ने कहा है कि जल्द ही भारत में ट्रायल शुरू किए जाएंगे। मुख्य रूप से इनका लक्ष्य संभावित वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा को मापना होगा। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि भारत में इसके ट्रायल के लिए कितनी जगह अध्ययन होंगे और इसमें कितने वॉलंटियर्स हिस्सा लेंगे। 

एक बार ट्रायल होने और वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद रशियन डॉयरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड भारत को स्पुतनिक वी वैक्सीन के 10 करोड़ डोज सप्लाई करेगा। रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन स्पुतनिक वी का उत्पादन तेज करने का आदेश दे चुके हैं। दूसरी तरफ रूस में इस संभावित वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है और तीसरे चरण के ट्रायल के तहत करीब 40 हजार वॉलंटियर्स को लेकर अध्ययन जारी है। हालांकि, इस बीच देश के शिक्षकों और दूसरे लोगों को यह वैक्सीन दी जा रही है, जिसकी सुरक्षा को लेकर दुनिया भर के विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। पिछले सप्ताह यूएई में भी इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल शुरू किए गए हैं। 

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रशियन डॉयरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के सीईओ किरिल दिमित्रेव ने कहा कि इस ट्रायल से प्राप्त हुआ डेटा भारत में वैक्सीन के विकास को मजबूती देगा। स्पुतनिक वी को रूस का गामलेया इंस्टीट्यूट विकसित कर रहा है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे 11 अगस्त को मंजूरी दी थी। व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि स्पुतनिक वी का एक डोज़ उनकी एक बेटी को दिया गया है। हाल ही में रूस ने एक और वैक्सीन को भी मंजूरी दी है, जिसे साइबेरिया स्थित एक संस्थान विकसित कर रहा है।