24 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की हालत नाजुक, साइलेंट अटैक का खतरा, बेहोश हुए
खनौरी बॉर्डर पर 24 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गुरुवार को अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। चक्कर आने के बाद वह बेहोश हो गए। 24 दिन से डल्लेवाल बिना कुछ खाए अनशन पर बैठे हुए।
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नई दिल्ली। पंजाब-हरियाणा की सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत गंभीर बनी हुई है। गुरुवार को डल्लेवाल के अनशन के 24 दिन हो चुके हैं। आज उनकी सेहत ज्यादा बिगड़ गई है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल दोपहर में बेहोश होकर गिर पड़े। वह बाथरूम गए थे लौटते समय उन्हें चक्कर आ गया और बेहोश होकर गिर गए। उन्हें करीब 10 मिनट बाद होश आया।
होश में आने के बाद डल्लेवाल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये डल्लेवाल सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले कहा था कि किसानों के लिए उसके दरवाजे हमेशा खुले हैं। वह खुद सीधे या अपने अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से कोई भी सुझाव या मांग कोर्ट के समक्ष रख सकते हैं। सभी हितधारकों के साथ चर्चा कर उचित विचार किया जाएगा। शीर्ष कोर्ट ने यह बात बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही थी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों को लेकर शंभू व खनौरी बॉर्डर पर सैकड़ों किसान आंदोलनरत हैं। वहीं खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल जो कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं वह 24 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। डॉक्टरों के मुताबिक उनके अनशन का असर अब हार्ट सहित शरीर के कई अंगों पर लगातार पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें साइलेंट हार्ट अटैक की संभावना बढ़ गई। डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले 18 दिसंबर को भी इस मामले पर सुनवाई की थी। राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि डल्लेवाल पर ढिलाई न बरतें। वह जन नेता हैं। उनसे किसानों की भावनाएं जुड़ी हैं। उनकी सेहत का ध्यान रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसपर पंजाब सरकार ने कहा कि अभी तक तो डल्लेवाल ठीक हैं।
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ऐसा कह रहे हैं, कोई डॉक्टर नहीं। आप चाहते हैं कि अफसर डॉक्टरों का काम करें? 70 साल का व्यक्ति 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना टेस्ट के उन्हें स्वस्थ बता रहा है। वे अनशन कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों की निगरानी जरूरी है। उनका ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन, कैंसर की हालत, यह सब आपकी जिम्मेदारी है। कुछ भी नहीं हो रहा। आपके अफसर किस तरह के जवाब दे रहे हैं।