जनता और सरकार तक अपनी बात ख़ुद पहुंचाएंगे किसान, शुरू किया अपना अख़बार

मीडिया के बड़े हिस्से से निराश किसानों की पहल, ट्रॉली टाइम्स के नाम से निकल रहे अख़बार की कमान युवाओं के हाथ, अख़बार किसानों बात उन्हीं के नज़रिये से लोगों तक पहुंचाने का काम करेगा

Updated: Dec 19, 2020, 03:37 PM IST

Photo Courtesy: The Tribune India
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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने अब सरकार और जनता तक अपनी बात खुद ही पहुंचाने की ठान ली है। उन्होंने अपना एक अखबार शुरू किया है जो किसानों की बात साफ स्पष्ट ढंग से लोगों तक पहुंचाएगा। ट्रॉली टाइम्स नाम का यह समाचार पत्र चार पन्नों का है। इसे हिंदी और पंजाबी भाषा में प्रकाशित किया गया है। दरअसल, आंदोलन में शामिल किसानों को लग रहा था कि मीडिया का एक बड़ा वर्ग उनकी सही स्थिति नहीं दिखा रहा है। सरकार और लोगों तक उनकी बात को सही ढंग से नहीं पहुंचा रहा है। कुछ मीडिया संस्थान तो किसानों के खिलाफ ही खबरें चला रहे थे। यही वजह है कि किसान अब अपना ही अखबार लेकर आ गए हैं। 

ट्रॉली टाइम्स के पहले पेज पर नेताओं और प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा लिखित राय, तस्वीरें, कार्टून, कविताएं, समाचार रिपोर्ट प्रकाशित हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन  के 23वें दिन यानी  शुक्रवार को किसानों के बीच ट्रॉली टाइम्स की 2,000 प्रतियां बांटी गईं। इस समाचार पत्र के पहले पेज का शीर्षक ‘जुड़ांगे, लड़ांगे, जीतेंगे’ था। किसानों का ये अखबार सुरमीत मावी और गुरदीप सिंह मिलकर निकाल रहे हैं। किसान आंदोलन में शामिल 46 वर्षीय  सुरमीत मावी एक पटकथा लेखक है।

कैसे आया अखबार निकालने का आइडिया 

किसान आंदोलन के दौरान ही सुरमीत मावी को अपने अन्य साथी और पंजाबी किसान नरिंदर भिंडर की ट्रॉली के अंदर बैठे-बैठे अखबार का आइडिया आया।इसके बाद सुरमीत मावी ने बरनाला स्थित फोटोग्राफर गुरदीप सिंह धालीवाल के साथ ट्रॉली टाइम्स की शुरुआत की। सुरमीत मावी ने बताया कि किसानों को सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए मंच आसानी से नहीं मिलता। इस समाचार पत्र के माध्यम से उन्हें एक ऐसा मंच देने की कोशिश की गई है जिससे किसान अपनी बातों को सरकार तक पहुंचा सकें, साथ ही सरकार की योजनाएं और विचार किसानों तक आसानी से पहुंच सके। उन्होंने यह भी कहा कि अखबार किसानों की बुद्धि को प्रदर्शित करने का एक तरीका है।