अस्पताल के गेट पर टूटा पूर्व राजनयिक अशोक अमरोही का दम, परिवार ने कहा बेड तो मिला पर काग़ज़ी कार्रवाई में उखड़ गई सांसें

गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में बेड के लिए घंटों करवाया गया इंतज़ार, हालत नाज़ुक होने के चलते कार में ही हो गई मौत, विदेश मंत्री जयशंकर ने व्यक्त किया था शोक

Updated: Apr 30, 2021, 05:36 AM IST

Photo Courtesy: Jansatta
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गुरुग्राम। ब्रूनेई, मोज़ाम्बिक और अल्जीरिया में भारत के राजदूत रह चुके अशोक अमरोही नहीं रहे। कोविड होने के बाद इलाज के लिए तड़पते हुए कार में उनकी सांस उखड़ गई। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनके जाने पर दुख जताया और ट्वीट कर कहा कि "अमरोही एक अच्छे मित्र और कर्त्वयनिष्ठ व्यक्ति थे.. मैं उनके जाने से स्तब्ध हूं"

लेकिन अशोक अमरोही की पत्नी यामिनी अमरोही ने बताया कि अलग उन्हें सही समय पर इलाज मिल गया होता तो जान बचाई जा सकती थी। अस्पताल के गेट पर कार में पति को बिठाकर वो गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में कागज़ी कार्रवाई में लगी रहीं। अमरोही को वो समय रहते अस्पताल में दाखिल कराना चाहती थीं लेकिन अस्पताल ने उन्हें और उनके बेटे को कागज़ी कार्रवाई में उलझा दिया।    

 अंग्रेजी वेब पोर्टल द वायर से बात करते हुए अशोक अमरोही की पत्नी ने बताया कि, गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में बेड मिलने की तलाश में पूर्व राजनयिक अशोक अमरोही की कार में ही मौत हो गई। पूर्व राजनयिक को बेड के लिए अस्पताल प्रबंधन ने पांच घंटों का इंतज़ार करवा दिया। जिस वजह से वे अस्पताल की पार्किंग में अपनी कार में बेहाल पड़े रहे और लगभग पांच घंटों के इंतज़ार के बाद आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया। 

मामला 27 अप्रैल का है। यामिनी अमरोही ने बताया कि बीते एक हफ्ते से पूर्व राजनयिक बीमार चल रहे थे। हालत खराब होने पर डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी थी। मेदांता के एक डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में शाम 8 बजे तक बेड मिल जाएगा। लिहाज़ा पूर्व राजनयिक की पत्नी और बेटा दोनों ही उन्हें शाम करीब 7.30 बजे ही अस्पताल ले आए। 

लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें घंटों कागज़ी कार्यवाही में उलझा दिया। अशोक अमरोही की पत्नी के मुताबिक उनका बेटा अंदर अस्पताल में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए कतार में खड़ा रहा। इधर कार में मौजूद अशोक अमरोही की सेहत लगातार बिगड़ती रही। पत्नी तीन बार अस्पताल के अंदर मदद मांगने भी गईं लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने किसी तरह की कोई मदद नहीं पहुंचाई। यामिनी ने बताया कि मैं अर्ज करती रही कि उनकी सांस थम रही है.. लेकिन अस्पताल के लोग कहते रहे हिम्मत रखिए.... किसी तरह से कार में ऑक्सीजन लगवाया लेकिन उन्होंने मास्क निकालकर फेंक दिया.. बेटा पीठ थपथपाता रहा कि सांसें वापस आ जाएं लेकिन सब खत्म हो चुका था।

पत्नी ने कहा कि अस्पताल प्रबन्धन ने उन्हें मदद न करने का कारण यह बताया कि जब तक मरीज़ को अस्पताल में भर्ती नहीं कर लिया जाता तब तक हम मरीज़ की देखरेख नहीं कर सकते। बहुत लंबी भागदौड़ करने के बार जैसे तैसे अमरोही को ऑक्सीजन सिलेंडर मिला। लेकिन यह भी पूर्व राजनयिक की सेहत सुधार नहीं पाया। कागज़ी कार्यवाही पूरी होने के चंद मिनटों बाद ही अमरोही का हार्ट अटैक से निधन हो गया।