Pranab Mukherjee: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक सफर

Pranab Mukherjee political career: लगभग 51 साल का सफल राजनीतिक करियर रहा प्रणब मुखर्जी का

Updated: Sep 01, 2020, 07:00 AM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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नई दिल्ली। भारत रत्न से सम्मानित 84 वर्षीय प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त की दोपहर 12:07 बजे आर्मी अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके मस्तिष्क में थक्का जम गया था। इसी को निकालने के लिए ऑपरेशन किया गया। इसके बाद से ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हालत लगातार नाज़ुक बनी हुई थी। वेंटिलेटर पर रखे जाने के बाद भी उनके स्वास्थ्य में किसी प्रकार का सुधार नहीं आया। अंतत: लगभग बीस दिनों के इलाज के बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

भारत रत्न प्रणब मुखर्जी भारत के 13 वें राष्ट्रपति थे। मुखर्जी यूपीए-2 कार्यकाल के समय राष्ट्रपति बने थे। राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी केंद्रीय वित्त मंत्री का पदभार संभाल रहे थे। मुखर्जी को वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी यूपीए के दूसरे कार्यकाल में सौंपी गई थी। 

मुखर्जी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1969 से शुरू हुई थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस में शामिल किया था। इंदिरा के दौर में प्रणब प्रधानमंत्री के सबसे विश्वस्त लोगों में से एक थे। इंदिरा गांधी ने उन्हें अपनी सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी थी। प्रणब मुखर्जी 1982 से 84 तक वित्त मंत्री रहे थे। इसके साथ ही 1980 से 85 तक वे राज्यसभा में सदन के नेता भी रहे थे। 

इंदिरा गांधी के समय में सरकार में रुतबा रखने वाले प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक वजूद पर उस समय खतरा मंडराने लगा था जब इंदिरा की मृत्यु के बाद राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। राजीव गांधी सरकार में खींचतान की स्थिति पैदा होने के बाद प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय समाजवदी कांग्रेस पार्टी बना ली थी। हालांकि 1989 में प्रणब मुखर्जी की पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया। 

1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में प्रणब मुखर्जी को 1991 में पहले योजना आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद उसी सरकार में 1995 में उन्हें विदेश मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। सोनिया गांधी की राजनीति में एंट्री में प्रणब मुखर्जी का अहम योगदान माना जाता है। 

दस वर्षों की यूपीए सरकार में भी प्रणब मुखर्जी ने कई अहम पद संभाले थे। 2004 से 2006 तक प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री रहे थे। 2006 से 2009 तक प्रणब मुखर्जी को एक बार फिर विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। तो वहीं 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे। 2012 में पीए संगमा को हराकर वे राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए थे। 2017 में राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद बढ़ती उम्र के कारण प्रणब मुखर्जी ने राजनीति से दूरी बना ली। 2018 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर को संबोधित करने वाले देश के पहले पूर्व राष्ट्रपति थे।