National Press Day: देश में प्रेस की आज़ादी पर हो रहा हमला, राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर बोले जावडेकर
पिछले 6 साल में भारत में 27 पत्रकारों की हत्या हुई, प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत की रैंकिंग नीचे गिरी, क्या जावडेकर इन हालात को देखकर परेशान हैं

नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि देश में इस समय जिस तरह से प्रेस की आज़ादी पर हमला हो रहा है वो अच्छा नहीं है। जावडेकर ने यह बात राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर कही है, जो हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। प्रकाश जावडेकर ने इस अवसर पर दिए गए अपने बयान में कहा कि प्रेस की आज़ादी बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें अपनी बात रखने की आज़ादी होनी चाहिए लेकिन किसी को जानबूझकर बदनाम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में प्रेस की आज़ादी पर चर्चा चल रही है, लेकिन जिस तरह से प्रेस की आज़ादी पर हमला हो रहा है वो अच्छा नहीं है।
क्या उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की आज़ादी बहाल होगी
सूचना एवं प्रसारण मंत्री के इस बयान ने प्रेस की आज़ादी और पत्रकारों पर हो रहे हमलों के मसले को एक बार फिर से बहस में ला दिया है। गौरतलब है कि पिछले सोमवार को ही एडिटर्स गिल्ड ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यह मसला उठाया था। एडिटर्स गिल्ड ने अपनी चिट्ठी में कहा था कि मुंबई में एक संपादक की गिरफ़्तारी पर उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता की बात उठाकर तो ठीक किया, लेकिन उनके अपने उत्तर प्रदेश में पत्रकारों को डराने-धमकाने और प्रताड़ित करने की और भी तकलीफदेह घटनाएं हुई हैं, साथ ही पत्रकारों को उनका काम करने से रोका गया है।
Editors Guild of India has sent a letter to the Chief Minister of UP, on protection of press freedom and journalists' rights. The letter highlighted some of the recent cases of state excesses against journalists, and urged the CM to take steps for protecting their rights. pic.twitter.com/ahxJpLdKNc
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) November 9, 2020
पत्र में एडिटर्स गिल्ड ने कुछ ऐसे मामलों की जानकारी भी दी थी, जिनमें पत्रकारों को कथित रूप से झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। इनमें मलयालम समाचार पोर्टल ‘अजीमुखम’ के दिल्ली में काम करने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन, वेबसाइट स्क्रॉल की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के मामलों का ज़िक्र भी किया गया था। इसके अलावा एडिटर्स गिल्ड ने अपनी चिट्ठी में पत्रकार रवींद्र सक्सेना का भी उल्लेख किया था, जिन्होंने सीतापुर की महोली तहसील के क्वारंटीन केंद्र में कुप्रबंधन का खुलासा किया था, जिसके बाद उन पर एससी/एसटी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत केस दर्ज किए गए। एडिटर्स गिल्ड की चिट्ठी में वाराणसी के अखबार दैनिक जनादेश टाइम्स के विजय विनीत और मनीष मिश्रा पर ज़िक्र भी है, जिन्हें वाराणसी जिले के कोइरीपुर गांव में घास खाते बच्चों की रिपोर्ट देने पर निशाना बनाया गया है। हाथरस बलात्कार मामले को लेकर लखनऊ में हो रहे विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने के दौरान शहर के स्वतंत्र पत्रकार असद रिज़वी पर दो अक्टूबर को हुए पुलिस के हमले का मसला भी एडिटर्स गिल्ड ने अपने पत्र में उठाया है। गिल्ड ने इन तमाम मामलों में जेल में बंद पत्रकारों को रिहा करने और उन पर चलाए जा रहे मुकदमे वापस लेने का आग्रह करते हुए यूपी में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर के आज के बयान के बाद क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि उत्तर प्रदेश में उन्हीं की पार्टी की सरकार अब इन पत्रकारों की आज़ादी बहाल कर देगी? या फिर उनका बयान सिर्फ उन्हीं पत्रकारों के संदर्भ में है, जिन पर सरकार समर्थक होने का तमगा लगा हुआ है।
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प्रेस की आज़ादी में पिछड़ रहे हैं हम
दरअसल, आंकड़े भारत में प्रेस की आज़ादी की बेहतर छवि पेश नहीं करते। बीते 6 वर्षों में भारत में 27 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। ये तो वो आंकड़े हैं, जो रिकॉर्ड में मौजूद हैं। हाल ही में यूपी के उन्नाव में पत्रकार सूरज पांडेय की संदिग्ध मौत जैसे मामले तो पुलिस के रिकॉर्ड में हादसे के रूप में ही दर्ज होते हैं। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत दुनिया के देशों में 142वें नंबर पर है। चिंता की बात तो ये है कि बीते सालों में प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत की रैंकिंग और नीचे आई है। 2015 में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 136वें पायदान पर था। जबकि 2020 आते आते भारत 142वें पायदान पर पहुंच गया है। जाहिर है कि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रेस की जिस आज़ादी की फिक्र कर रहे हैं, उसकी गारंटी देने में उनकी अपनी सरकार कामयाब नहीं रही है।