बेहद तेजी से पिघल रहा गंगोत्री ग्लेशियर, 15 साल में घटा 0.23 स्क्वायर किमी क्षेत्र
वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की कथित उपस्थिति के कारण ग्लेशियर पिघल रहा है, रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 15 मीटर घट रहा है गंगोत्री
नई दिल्ली। पृथ्वी के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी और मौसम में आ रहे बदलाव के चलते हिमालय के ग्लेशियरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर बेहद तेजी से पिघल रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक गंगोत्री हर साल करीब 1तीन मीटर सिकुड़ रहा है।
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि पिछले 15 साल में यानी 2001 से 2016 तक गंगोत्री ग्लेशियर का करीब 0.23 स्क्वायर किमी हिस्सा घट गया है। उन्होंने बताया था कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस ग्लेशियर की निगरानी कर रहा है। इसके लिए इंडियन सेंसिंग रिमोट सैटेलाइट के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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पर्यावरण मंत्री का बयान बीजेपी के ही सेमहेश पोद्दार के एक सवाल के जवाब में दिया गया था, जिन्होंने उन रिपोर्ट की पुष्टि करने की मांग की थी जिसमें कहा गया था कि वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की कथित उपस्थिति के कारण ग्लेशियर पिघल रहा था। इसपर मंत्री यादव ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में ब्लैक कार्बन की मौजूदगी दिखी है। हालांकि, गंगोत्री ग्लेशियर के बड़े पैमाने पर नुकसान और पीछे हटने पर इसके प्रभाव का अध्ययन नहीं किया गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के इंटर गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज द्वारा पहली बार पहाड़ों पर जलवायु परिवर्तन से आए बदलावों की विस्तृत चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होने से हिमालय के अधिकतर हिमनद पीछे हट रहे हैं। तीन सौ पेज की रिपोर्ट में कहा है कि हिमालय क्षेत्र का तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रहा है, जो वैश्विक दर से कहीं ज्यादा है। 2001 से 2020 के दशक तक यह तापमान बढ़ोतरी सर्वाधिक 0.3 डिग्री सेल्सियस रही है। 2021 से 2031 के दशक में यह दर और तेज होगी। शताब्दी के अंत तक हिमालयी क्षेत्रों का तापमान 0.7 डिग्री तक जा सकता है।