राजनीति में कब क्या हो जाए, कह नहीं सकते, नई पार्टी बनाने के सवाल पर बोले गुलाम नबी आजाद

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस हाईकमान को निशाने पर लेते हुए कहा है कि लीडरशिप आलोचना सुनने के लिए तैयार नहीं है, जबकि इंदिरा और राजीव गांधी इसका प्रोत्साहन करते थे

Updated: Dec 05, 2021, 04:11 AM IST

Photo Courtesy: The wire
Photo Courtesy: The wire

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी तौर पर बगावती रुख अख्तियार कर चुके गुलाम नबी आजाद ने इसबार पार्टी हाईकमान पर खुले तौर पर निशाना साधा है। G-23 गुट के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि लीडरशिप आलोचना सुनने के लिए तैयार नहीं है, जबकि इंदिरा और राजीव गांधी के समय आलोचनाओं को प्रोत्साहित किया जाता था। नई पार्टी बनाने के सवाल पर आजाद ने कहा है कि राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता।

एक निजी टीवी चैनल से विशेष बातचीत के दौरान गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'कोई भी पार्टी लीडरशिप को चुनौती नहीं दे रहा है, लेकिन इंदिरा और राजीव ने मुझे जब चीजें गलत हों तो सवाल उठाने की छूट दे रखी थी। उन्हें आलोचना से दिक्कत नहीं होती थी, वे इससे नाराज नहीं होते थे, बल्कि प्रोत्साहित करते थे।जब मैने दो महासचिवों को यूथ कांग्रेस में नियुक्त करने से इनकार किया था तो इंदिरा गांधी ने कहा था, कीप इट अप। लेकिन आज का पार्टी नेतृत्व आलोचना से नाराज हो जाता है।'

यह भी पढ़ें: MP: महामहिम के गले में भाजपा का पट्टा, संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना के लगे आरोप

कांग्रेस नेता से जब यह पूछा गया कि चर्चाएं हैं कि वे नई पार्टी बनाने वाले हैं, इसपर उन्होंने कहा कि नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। पिछले दो सालों में लोगों के बीच संपर्क टूट सा गया था। जब 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के साथ राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया। राजनीतिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई। हजारों लोग जेल भेजे गए। जेल के बाहर भी जो थे, उन्हें भी राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी गई थी। 

आजाद के मुताबिक इन परिस्थितियों के वजह से उन्हें एक राजनीतिक रास्ता दिखा और उन्होंने गतिविधियां शुरू कर दी। आजाद से जब ये पूछा गया कि वे जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष साथ में किसी बैठक में शामिल क्यों नहीं होते। इस पर उन्होंने कहा की कुछ लोगों को कम काम करने की आदत होती है। मुझे ज्यादा काम करने की आदत है। मैं कछुए की चाल नहीं चल सकता। मैं तेज गति से चलता हूं। कुछ लोग एक दिन मे दो बैठकें करते हैं। मेरा रिकॉर्ड एक दिन में 16 बैठकों का है। खुदा ने मुझे भरपूर ऊर्जा दी है, जो मैं 40 साल पहले किया करता था वो मैं आज भी कर सकता हूं।