Ghulam Nabi Azad: तीनों कृषि कानून रद्द करे सरकार, गुमशुदा लोगों को ढूंढने के लिए बने कमेटी

गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में महेंद्र सिंह टिकैत का किस्सा भी सुनाया, आजाद ने कहा कि हम किसानों के बिना कुछ भी नहीं हैं, हमें किसानों से लड़ाई नहीं लड़नी है

Updated: Feb 03, 2021, 09:45 AM IST

नई दिल्ली। कृषि आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आज काफी अहम बातें कही। गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में संसद में कहा कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस ले लेने चाहिए। इसके साथ ही गुमशुदा लोगों की तलाश के लिए एक कमेटी गठित की जानी चाहिए। 

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि , ' मैं सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने के लिए आग्रह करता हूं। कुछ लोग गुमशुदा हैं, मैं प्रधानमंत्री से मामले की जांच के लिए कमेटी गठित करने के लिए भी आग्रह करता हूं।' उन्होंने आगे कहा, 'मेरी पार्टी (कांग्रेस) 26 जनवरी को हुई हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करती है।'

किसानों के बिना हम कुछ भी नहीं : आजाद 

गुलाम नबी आजाद ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि हम दो वक्त की रोटी अगर खा पा रहे हैं तो ऐसा अन्नदाताओं की वजह से ही मुमकिन हो पा रहा है। आज ने कहा कि हम किसानों के बिना कुछ भी नहीं है। आजाद ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में कहा कि हमें किसानों से लड़ाई नहीं लड़नी है। लड़ाई लड़ने के लिए हमारे पास और भी फ्रंट हैं। पाकिस्तान और चीन से हमें मुकाबला करना है, उनके साथ लड़ाई लड़ने में मैं, मेरी पार्टी, पूरा देश आपके साथ है। 

गुलाम नबी आजाद ने संसद में 32 साल पुराना एक किस्सा भी सुनाया। जब अक्टूबर 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत बोट क्लब में होने वाली कांग्रेस की रैली को रोकने के लिए 50 हज़ार किसानों के साथ दिल्ली के बोट क्लब पहुंच गए थे। आजाद ने बताया कि कांग्रेस की रैली में उस दौरान देश भर से लोगों को आना था। लेकिन कांग्रेस ने किसानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि कांग्रेस ने खुद अपना स्थल बदल लिया और लाल किले पर रैली आयोजित की गई। आजाद ने कहा कि कुछ दिनों बाद महेंद्र सिंह टिकैत खुद वहां से चले गए।

आजाद ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुई हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में जितने लोग भी दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निर्दोष लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। उन्हें नहीं फंसाना जाना चाहिए।