पतंजलि को शोध संस्थान की मान्यता देने पर दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, भाजपा को केवल फ्रॉड बाबा ही क्यों पसंद आते हैं

पतंजलि को शोध संस्थान के रूप में मान्यता देने का मतलब है कि अगर कोई करदाता या संस्था पतंजलि को दान के रूप में पैसा देती है, तो वह टैक्स में छूट का दावा कर सकती है

Updated: Jul 14, 2021, 05:45 AM IST

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव की कंपनी को शोध संस्थान के रूप में मान्यता दे दी है। रामदेव की कंपनी को शोध संस्थान के रूप में मान्यता देने पर विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि आखिर बीजेपी को फ्रॉड बाबा ही पसंद क्यों आते हैं?

पतंजलि को शोध संस्थान के रूप में मान्यता देने का अर्थ क्या है? 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बीते सोमवार को एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि हरिद्वार स्थित पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट को शोध संस्थान के रूप में मान्यता दी जाती है। अधिसूचना के मुताबिक आयकर एक्ट 1961 और आयकर नियम 1962 के आधार पर पतंजलि को दान के रूप में दी जाने वाली राशि में टैक्स की छूट का प्रावधान किया गया है। 

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मसलन, अगर कोई करदाता 2021-22 से 2026-27 के दरमियान पतंजलि को दान के रूप में पैसा देता है तो वह अपने टैक्स में छूट का दावा कर सकता है। यह नियम असेसमेंट ईयर 2022-23 से 2020-28 तक के लिए लागू होगा। आयकर नियमों के मुताबिक अगर कोई करदाता किसी शोध संस्थान को साइंटिफिक रिसर्च के लिए दान देता है तो करदाता को अपनी कुल आय में दान की गई राशि की कटौती करने की अनुमति होती है। 

रामदेव के चक्कर में हर्षवर्धन को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया : दिग्विजय सिंह 

केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह बीजेपी पर निशाना साधा है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भाजपा फ़्रॉड बाबा लोगों को क्यों पसंद करती हैं? क्योंकि उनका यही चाल चरित्र चेहरा है। डॉ हर्षवर्धन जैसा नेक इंसान भी उनके चक्कर में पड़ कर अपना मंत्री पद खो दिए। जिसने अपने आप को Charitable Trust बता कर Tax की चोरी कर पूरा व्यवसाय किया हो अब उसे Tax Exemption सरकार दे रही है।'

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दरअसल बाबा रामदेव पर शुरू से ही टैक्स चोरी करने के आरोप लगते रहे हैं। कोरोना काल में भी बाबा रामदेव और पतंजलि पर झूठे प्रचार करने के आरोप लगे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव ने पतंजलि द्वारा तैयार की गई दवा कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त बता दिया। ताज्जुब की बात यह थी कि जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव यह दावा कर रहे थे, उस समय खुद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी वहीं मौजूद थे। बाबा रामदेव ने इसके बाद भी अपने बयानों से विवाद खड़े किए। बाबा रामदेव एलोपैथी और कोरोना काल में अपनी जान गंवाने वाले डॉक्टरों का भी अपमान करने का आरोप लगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव पर कई मर्तबा कार्रवाई किए जाने की भी मांग की।