क्या हरियाणा में टूटेगा बीजेपी का गठबंधन, दुष्यंत चौटाला के बयान से उठे सवाल

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि MSP की व्यवस्था को खतरा हुआ तो वे सरकार से अलग हो जाएंगे, हालांकि सीएम खट्टर ने दावा किया है कि सरकार और गठबंधन में सब कुछ ठीक है

Updated: Dec 11, 2020, 05:36 PM IST

Photo Courtesy: Business Standard
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चंडीगढ़। क्या हरियाणा की खट्टर सरकार किसानों के मसले पर खतरे में पड़ सकती है? क्या राज्य के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी MSP के मुद्दे पर सरकार का साथ छोड़ सकती है? ये सवाल दुष्यंत चौटाला के हाल में दिए बयानों और किसान आंदोलन के बारे में उनकी सरकार के हाल के रुख की वजह से उठ रहे हैं। दरअसल दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को कोई खतरा होगा तो वे सरकार से फौरन इस्तीफा दे देंगे। 

हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अब भी यही कह रहे हैं कि उनकी सरकार पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन दुष्यंत चौटाला का MSP पर दिए बयान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जेजेपी के कई विधायक खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन करने की बात करते रहे हैं। इतना ही नहीं चौटाला की पार्टी के विधायक बार बार केंद्र के कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की बात भी कर रहे हैं। उन्होंने किसान आंदोलन से निपटने के खट्टर के तरीके की आलोचना भी की है। ऐसे में पंजाब की तरह ही हरियाणा में भी बीजेपी का सहयोगी दल किसानों के दबाव में अपना रुख बदल ले तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए। सबकुछ इस बात पर निर्भर है कि किसान आंदोलन आगे चलकर क्या रूप लेता है और सरकार इस मसले को किस तरह सुलझाती है।

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उनके दादा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल कहा करते थे कि सरकार किसानों की बात तभी सुनती है जब सरकार में किसानों की हिस्सेदारी हो। उन्होंने कहा कि वे और उनकी पार्टी लगातार किसानों की समस्याओं को सामने रख रहृे हैं। जब चौटाला से उनके विधायकों द्वारा किसानों के आंदोलन को समर्थन करने के बारे में सवाल पूछा गया तो चौटाला ने कहा कि मैं सबसे पहले किसान हूं, क्या मैं इससे इनकार कर सकता हूं। अगर किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यव्स्था को कोई खतरा होगा तो मैं सबसे पहले इस्तीफा दे दूंगा। 

गठबंधन मजबूत है : खट्टर 

मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्टर सरकार पर मंडरा रहे सभी खतरों से इनकार कर रहे हैं। मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि सरकार और गठबंधन दोनों ही मजबूत हैं। कहीं से कोई समस्या नहीं है। मौजूदा समय में जेजेपी से निपटना ही खट्टर के लिए एक चुनौती नहीं है। बल्कि खट्टर इस समय चौतरफा घिरे हुए हैं। पंजाब की ही तर्ज़ पर विपक्षी दल दबाव बना रहे हैं कि चौटाला की पार्टी को खट्टर सरकार और बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा खट्टर सरकार के अस्थिर होने का दावा कर चुके हैं।

कहा तो ये भी जा रहा है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी खट्टर से नाराज़ चल रहा है। दरअसल दिल्ली की सीमाओं पर डटे लाखों किसान पंजाब और हरियाणा के रास्ते ही वहां पहुंचे हैं। ऐसे में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व  इस बात से नाराज़ है कि खट्टर स्थिति को संभालने में नाकाम रहे हैं। इन सबके बीच राज्य के किसान तो खट्टर सरकार से नाराज़ चल ही रहे हैं। उनके गृह मंत्री अनिल विज को अपने ही गोद लिए गांव में किसानों ने जिस तरह खरी-खोटी सुनाई वो इसी नाराज़गी की मिसाल है। दरअसल वे दिल्ली जा रहे किसानों पर हरियाणा में हुई पुलिसिया दमन की कार्रवाई से बेहद भड़के हुए हैं। इस दबाव का ही नतीजा है कि खट्टर अब किसानों के साथ नरमी से पेश आने की बात कर रहे हैं। हरियाणा में किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए भी सरकार पर लगातार दबाव पड़ रहा है। ऐसे में खट्टर के लिए इधर कुआं, उधर खाई वाली स्थिति बन गई है।