पश्चिम बंगाल के तीन IPS को केंद्र में भेजने का मोदी सरकार का आदेश, ममता सरकार ने किया विरोध

पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी ने कहा है कि पहले से ही राज्य में IPS अफसरों की कमी है, ऐसे में और अधिकारियों को ट्रांसफर करके दिल्ली भेजना ठीक नहीं, TMC इसे बदले की कार्रवाई बता रही है

Updated: Dec 13, 2020, 07:02 PM IST

Photo Courtesy: Patrika
Photo Courtesy: Patrika

नई दिल्ली/कोलकाता। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव के बाद केंद्र सरकार ने उस इलाके में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रहे तीन आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली ट्रांसफर किए जाने का आदेश दिया है। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने अफसरों को दिल्ली भेजने से साफ इनकार कर दिया है। लिहाज़ा ममता और मोदी की सरकारों के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है।

पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी आलापन बंदोपाध्याय ने गृह मंत्रालय के चीफ सेक्रेटरी अजय भल्ला को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य में तैनात तीन अफसरों को डेप्युटेशन पर दिल्ली बुलाना ठीक नहीं है। राज्य सरकार सरकार ने तीनों अधिकारियों को दिल्ली भेजने से मना कर दिया है। पश्चिम बंगाल के गृह मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि पहले ही बंगाल में आईपीएस अधिकारियों की संख्या ज़रूरत से काफी कम है, लिहाजा हमने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि तीनों अफसरों को दिल्ली भेजना फिलहाल संभव नहीं है। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बंगाल के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को तीन अधिकारियों राजीव मिश्रा ( आईजी, दक्षिण बंगाल रेंज ), प्रवीण त्रिपाठी ( डीआईजी, प्रेसीडेंसी रेंज ) और भोलानाथ पांडेय ( एसपी, 24 नॉर्थ परगना ) को डेप्युटेशन पर भेजने का निर्देश दिया है। बीजेपी अध्यक्ष नड्डा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इन्हीं तीनों अधिकारियों के जिम्मे थी। लेकिन बंगाल सरकार के रुख से यह स्पष्ट है कि वो अफसरों को डेप्युटेशन पर नहीं भेजेगी। 

बदले की राजनीति कर रही है केंद्र सरकार: टीएमसी 

इस पूरे घटनाक्रम पर तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने कहा है कि केंद्र सरकार राज्य के तीन अफसरों को बदले की कार्रवाई के तौर पर दिल्ली अटैच करना चाहती है। शनिवार शाम को उन्होंने पत्र भी भेजा है। कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। इसमें बेवजह दखल देकर केंद्र सरकार संविधान द्वारा स्थापित संघीय ढांचे के भी खिलाफ काम कर रही है। 

क्या कहते हैं नियम, क्या कहता है हमारा संविधान

आईपीएस कैडर पर लागू सेवा नियम 6 के मुताबिक अफसरों का ट्रांसफर राज्य सरकार की सहमति से ही होना चाहिए, लेकिन अगर केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहमति न बन पाए तो केंद्र सरकार का फैसला ही मान्य होगा। लेकिन संविधान के संघीय ढांचे का ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार आम तौर पर इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं करती है। जानकारों का मानना है कि अगर केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के अफसरों को जबरन दिल्ली पुराने की कोशिश की, तो ये मामला संवैधानिक अदालत तक पहुंचने के पूरे आसार हैं। आप को बता दें कि देश के लीगल सिस्टम में संविधान की जगह सबसे ऊपर है। बाकी सभी कानून संविधान के दायरे में ही लागू होते हैं और सेवा नियमों की स्थिति कानून से भी नीचे होती है। यानी कोई भी नियम या रूल कानून के खिलाफ नहीं हो सकते और कोई भी कानून संविधान के बुनियादी ढांचे यानि बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ नहीं जा सकता। भारत का संघीय ढांचा भी संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का हिस्सा है।