Facebook Row: संसदीय समिति पूछेगी बीजेपी की 'हेट स्पीच' पर रोक क्यों नहीं

Facebook Hate Speech Policy: फेसबुक की इंडिया पॉलिसी हेड ने बीजेपी की हेट स्पीच पर कार्रवाई का विरोध किया

Updated: Aug 18, 2020, 02:06 AM IST

Pic: Aljazeera
Pic: Aljazeera

नई दिल्ली। फेसबुक विवाद मामले में सूचना एवं तकनीक पर संसद की स्थाई समिति कंपनी से जवाब मांगेगी कि आखिर उसने बीजेपी से जुड़े व्यक्तियों और समूहों की ‘हेट स्पीच’ पर रोक क्यों नहीं लगाई। बताया जा रहा है कि कमेटी फेसबुक को तलब भी कर सकती है।

कमेटी के चेयरमैन शशि थरूर ने कहा वे निश्चित तौर पर वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को विस्तार से देखेंगे। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे फेसबुक की इंडिया पॉलिसी हेड अंखी दास ने बिजनेस कारणों का हवाला देकर बीजेपी से जुड़े कम से कम चार व्यक्तियों और समूहों द्वारा की गईं घृणा और हिंसा उकसाने वाली पोस्ट पर कार्रवाई का विरोध किया, जबकि फेसबुक की आंतरिक टीम ने ऐसा करने के लिए कहा था।

इससे पहले कांग्रेस ने इस पूरे मामले में संयुक्त संसदीय समिति की जांच की मांग की। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने 16 अगस्त को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा, “आज फेसबुक की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। बीजेपी देश में घृणा की राजनीति कर रही है और फेसबुक इसमें उसकी मदद कर रही है। इस पूरे मामले और फेसबुक एवं व्हाट्सएप संचालन को लेकर जेपीसी जांच होनी चाहिए।”

Click Facebook Row: कांग्रेस ने की फेसबुक के खिलाफ JPC जांच की मांग

अंखी दास और बीजेपी के बीच संबंधों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “यह पता लगाया जाना चाहिए कि फेसबुक की इंडिया हेड और बीजेपी के बीच क्या संबंध हैं और वे किस तरह की बिजनेस की बात कर रही हैं। फेसबुक ने बीजेपी की चुनावों के दौरान मदद की है।”

जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में फेसबुक के वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से बताया है कि अंखी दास का दखल फेसबुक द्वारा सत्ताधारी दल को लेकर किए जा रहे वृहद पक्षपात का हिस्सा है।

जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने फेसबुक पर बार-बार अल्पसंख्यको के खिलाफ हिंसा करने को लेकर पोस्ट डालीं। इन पोस्ट पर फेसबुक के स्टाफ ने कंपनी की ‘खतरनाक व्यक्ति और संगठन’ नीति के तहत कार्रवाई करने का निष्कर्ष निकाला। लेकिन फेसबुक की इंडिया पॉलिसी एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने यह कहते हुए कार्रवाई का विरोध किया कि इससे भारत में कंपनी के बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यूजर्स के मामले में भारत फेसबुक के लिए सबसे बड़ा बाजार है।

अंखी दास के दखल की बात को सत्यापित करते हुए फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा कि दास ने राजनीतिक विवाद पैदा होने को लेकर चिंता जताई थी लेकिन बीजेपी विधायक टी राजा के फेसबुक को बनाए रखने के कंपनी के फैसले में अकेले उनके मत का योगदान नहीं था।

Click  Facebook: धंधे के चक्कर में बीजेपी की घृणा पोस्ट बैन नहीं

इस पूरे विवाद पर फेसबुक की नई प्रतिक्रिया यह है कि कंपनी बिना पार्टी और नेता देखे अपनी नीतियां लागू करती है। फेसबुक का कहना है कि हम जानते हैं कि अभी इस दिशा में बहुत काम करना है लेकिन हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं।

अगर फेसबुक को सूचना तकनीक की स्थाई समिति के सामने पेश होने के लिए बुलाया जाता है तो यह पहली बार नहीं होगा कि किसी संसदीय समिति के सामने फेसबुक के पेश होने के लिए बुलाया जाएगा। इससे पहले फेसबुक अमेरिका में भी संसदीय समिति के सामने पेश हो चुकी है।