Facebook: धंधे के चक्कर में बीजेपी की घृणा पोस्ट बैन नहीं
Hate Speeches: बीजेपी विधायक टी राजा को नहीं किया बैन, इंडिया पॉलिसी एग्जीक्यूटिव अंखी दास और बीजेपी का रिश्ता आया सामने
नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक घृणा फैलाने, गलत सूचना देने और हिंसा भड़काने वाली पोस्ट पर कार्रवाई करता है, लेकिन कंपनी ने बीजेपी के मामले में इस नीति का पालन नहीं किया। फेसबुक के सिस्टम ने बीजेपी से जुड़े कम से कम चार व्यक्तियों और ग्रुप को हिंसा फैलाने और उसमें भाग लेने के लिए बैन करने के लिए चिह्नित किया था। मगर भारत में टॉप पॉलिसी एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने बिजनेस कारणों का हवाला देते हुए इन पर इस पॉलिसी को लागू नहीं होने दिया।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंखी दास ने कार्रवाई करने की बात कहने वाले अपने स्टाफ के सदस्यों से कहा कि ऐसा करने पर भारत में कंपनी के बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यूजर्स की संख्या के मामले में भारत फेसबुक के लिए सबसे बड़ा बाजार है।
जर्नल की रिपोर्ट में बीजेपी विधायक टी राजा सिंह द्वारा कथित तौर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करने की पोस्ट का जिक्र है। रिपोर्ट में फेसबुक के वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से यह भी बताया गया है कि दास का दखल फेसबुक द्वारा सत्ताधारी दल को लेकर किए जा रहे वृहद पक्षपात का हिस्सा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक के स्टाफ ने एक समुदाय के खिलाफ हिंसा का आह्वान करने के लिए बीजेपी विधायक को ‘खतरनाक व्यक्ति और संगठन’ पॉलिसी के तहन बैन करने का निष्कर्ष निकाला था।
फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दास ने राजनीतिक विवाद पैदा होने को लेकर चिंता जताई थी लेकिन बीजेपी विधायक टी राजा के फेसबुक को बनाए रखने के कंपनी के फैसले में अकेले उनके मत का योगदान नहीं था।
जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक से टी राजा के बारे में पूछने पर उसने विधायक की कुछ पोस्ट हटा दीं। वहीं विधायक ने बताया कि वे खुद व्यक्तिगत रूप से पोस्ट नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि पूरे देश में उनके समर्थक हैं और वे उनके नाम से पेज बनाकर पोस्ट करते हैं, हम किसी को रोक नहीं सकते। टी राजा के नाम पर इस समय फेसबुक पर कम से कम आठ पेज हैं।
फेसबुक अपनी ‘खतरनाक व्यक्ति और संगठन’ पॉलिसी के तहत संगठित घृणा, नरसंहार, घृणा अपराध और आतंकवादी हमले से जुड़े कंटेट को बैन करता है। फरवरी में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे को फेसबुक ने घृणा अपराध की संज्ञा दी हुई है। इसी नीति के तहत 2018 में श्रीलंका में हुए सांप्रदायिक दंगे और अमेरिकी दक्षिणपंथी व्यक्तियों एलेक्स जॉन्स और मिलो युनापुलोस की पोस्ट आती हैं।
अंखी दास और बीजेपी का रिश्ता
अंखी दास को लेकर ट्विटर पर प्रसिद्ध आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने एक खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि अंखी दास और बीजेपी के बीच अच्छे संबंध हैं, इसलिए ही उन्होंने बीजेपी नेताओं द्वारा की गईं घृणा फैलाने वाली और हिंसा उकसाने वाली पोस्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की।
Facebook's Ankhi Das also attends sessions of "WOSY - World Organization of Students & Youth" which was led by her sister Rashmi Das.
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) August 15, 2020
Fun fact: WOSY runs out of the same office as the RSS-operated Rashtriya Kala Manch at 26, DDU Marg in Delhi.
(3/4) pic.twitter.com/WFRM8pls4e
एक के बाद एक किए गए ट्वीट में उन्होंने बताया कि अंखी दास ‘वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टूडेंट्स एंड यूथ’ के एक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं। इसका नेतृत्व उनकी बहन रश्मी दास ने किया था। गोखले ने बताया कि इस संस्था का ऑफिस वही है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कला मंच का है।
उन्होंने दावा किया कि आरएसएस से इतने घनिष्ठ संबंध होना अपने आप बताता है कि अंखी दास ने बीजेपी से जुड़े व्यक्तियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
उठी जांच की मांग
वॉल स्ट्रीट जर्नल की इस रिपोर्ट के बाद अब इस पूरे मामले में जांच की मांग उठ रही है। लोकसभा में सूचना तकनीकि कमेटी के सदस्य शशि थरूर ने कहा है कि उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पढ़ी है और वे कमेटी के अंदर इस मुद्दे को उठाएंगे और जिनका भी नाम इस रिपोर्ट में है उनकी जवाबदेही तय करेंगे। शशि थरूर के साथ कमेटी की एक और सदस्य तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सहमति जताई है।
@ShashiTharoor I agree - we in the IT Comm need to look into this on an urgent basis please. @SaketGokhale yes I have read the article too https://t.co/rDM8v98z0F
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 15, 2020
दूसरी तरफ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम नरेश और तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी फेसबुक के पक्षपाती होने की बात कहते हुए फेसबुक के क्रियाकलापों की विस्तृत जांच की मांग कती है।