अगर चीन शांति भंग करता है तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा, विदेश मंत्री जयशंकर की दो टूक

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के सवाल पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह बड़ा मसला है और आसानी से ऐसा नहीं होने वाला, क्योंकि दुनिया उदार जगह नहीं है

Updated: Aug 13, 2022, 05:25 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
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बेंगलुरु। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत लगातार अपने इस रुख पर कायम है कि अगर चीन ने सीमावर्ती इलाकों में शांति भंग की, तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ जगहें हैं जहां वे पीछे नहीं हटे हैं। जयशंकर बेंगलुरु में पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत कर रहे थे, इस दौरान एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने यह टिप्पणी की।

विदेश मंत्री जयशंकर दो साल पहले लद्दाख में झड़प के बाद चीन के साथ रिश्तों में तनाव से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे। जयशंकर ने कहा, ‘मैंने 2020 और 2021 में कहा है और 2022 में भी कह रहा हूं कि - हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं। यदि सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है तो यह (संबंध) सामान्य नहीं रह सकते और सीमा की स्थिति अभी सामान्य नहीं है। सीमा की स्थिति एक बड़ी समस्या बनी हुई है क्योंकि सेना पिछली दो सर्दियों से वहां डटी हुई है। यह बहुत तनावपूर्ण स्थिति है और यह एक खतरनाक स्थिति भी हो सकती है इसलिए हम बातचीत कर रहे हैं।'

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विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जब चीन जैसी क्षेत्रीय शक्ति महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रही हो, तो भारत को इससे होने वाले ‘अस्थिरतापूर्ण बदलावों' के लिए तैयार रहना होगा। चीन और ताइवान के संबंध में मौजूदा हालात के प्रभावों को लेकर पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा, ‘यदि आप हिंद महासागर क्षेत्र समेत तटीय क्षेत्रों के आसपास चीन की व्यापक मौजूदगी की बात कर रहे हैं तो मेरा मानना है कि इस बारे में भारत को आकलन और मूल्यांकन करना होगा, जिसमें हमारी अपनी सुरक्षा पर पड़ने वाला असर भी शामिल है। क्योंकि ऐतिहासिक रूप से हमने चीन को हमेशा हमारे उत्तर में स्थित देश की तरह देखा है। इस स्थिति पर हम नजर रखे रहते हैं।'

उन्होंने कहा, ‘जब कोई शक्ति क्षेत्रीय ताकत से महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रही हो तो बहुत अस्थिरतापूर्ण बदलाव होते हैं और इन बदलावों के लिए हमारे देश को तैयार रहना होगा। जब हमारे हित शामिल हों तो मुझे लगता है कि यह बात बहुत मायने रखती है कि हम अपने हितों की रक्षा करने के लिए बहुत स्पष्ट और दृढ़ हों।' संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि यह बड़ा मसला है और आसानी से ऐसा नहीं होने वाला क्योंकि दुनिया उदार जगह नहीं है और देशों को जो मिलता है, उसके लिए बहुत संघर्ष करना होता है।