सिंधिया समर्थक मंत्री बोल रहे विपक्ष की भाषा, कैशकांड में आरोपों को बताया साज़िश

मध्य प्रदेश में विपक्ष ही नहीं शिवराज सरकार मंत्री भी कह रहे हैं कि कैश कांड में लगाए जा रहे आरोप झूठे और निराधार हैं

Updated: Dec 21, 2020, 05:12 PM IST

Photo Courtesy: Patrika
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भोपाल। शिवराज सरकार के सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायक कथित कैशकांड में लगे आरोपों पर अब विपक्ष की भाषा बोल रहे हैं। सिंधिया समर्थक मंत्रियों, विधायकों ने भी विपक्ष की तरह ही आरोप लगाया है कि कैशकांड में लगाए जा रहे आरोप न सिर्फ बेबुनियाद हैं बल्कि एक साज़िश का नतीजा हैं। दरअसल कैश कांड में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों के नाम आने के बाद से ये चर्चा हो रही है इन आरोपों के ज़रिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिंधिया समर्थक मंत्रियों पर शिकंजा कसना चाहते हैं।

शिवराज सरकार के उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कहा है कि सभी आरोप झूठे हैं, और मैं हर तरह की जांच के लिए तैयार हूं। वहीं सिंधिया के कट्टर समर्थक मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने कहा यदि लेन-देन में हम शामिल हैं तो अब तक नोटिस क्यों नहीं दिया गया? बीजेपी के इन दोनों नेताओं के बयान से दो दिन पहले ही कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोपों को झूठ और साज़िश का परिणाम बताया था। उन्होंने भी यह सवाल उठाया था कि आरोपों को लेकर अब तक नोटिस क्यों नहीं दिए गए। अब खुद शिवराज के मंत्री भी दिग्विजय सिंह के लगाए आरोपों का ही समर्थन करते नज़र आ रहे हैं।

हालांकि खुद सिंधिया ने इस मामले में अबतक चुप्पी साध रखी है, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा इन मामलों में कड़ी कार्रवाई की बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज का कहना है कि 'रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर दोषी कोई भी हो, वैधानिकता के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।' वहीं वीडी शर्मा ने कहा है कि, 'कमलनाथ के गोरखधंधों की वजह से ही इन नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी है। इस मामले में कोई भी लिप्त क्यों न हो, कानून अपना काम करेगा।' जाहिर है कि कैश कांड में लगाए जा रहे आरोपों को लेकर सरकार औऱ बीजेपी में ही दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। 

CBDT रिपोर्ट पर शिवराज सरकार और बीजेपी के भीतर ही मचे इस घमासान के बीच कांग्रेस भी कई ऐसे सवाल उठा रही है जिनके जवाब देना सत्ताधारी नेताओं के लिए आसान नहीं लग रहा। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने इस मामले में एक के बाद एक ट्वीट करके कई सवाल उठाए हैं। मिश्रा ने अपने पूछा है, "कमलनाथ को बदनाम करने की साजिश लोकसभा चुनाव के पहले रची गई थी। सीबीडीटी की कपोल-कल्पित रिपोर्ट में शिवराज सरकार के दो सिंधिया समर्थक मंत्रियों और कई विधायकों के नाम भी आए हैं। क्या उन पर भी एफआईआर होगी? वे बीजेपी में आने के बाद पवित्र हो गए हैं?"

अपने कुछ और ट्वीट में केके मिश्रा ने आरोप लगाते हुए लिखा है, "शिवराज जी,कमाल है आपकी भोली सूरत! एक तीर से कई निशाने CBDT की रिपोर्ट तो एक बहाना है,असली निशाने पर तो मुख्यमंत्री न.2 नरोत्तम मिश्रा जी,विधानसभा अध्यक्ष के दावेदार अजय विश्नोई जी व राजनैतिक सौदेबाजी कर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया जी हैं? संवैधानिक संस्थाओं को अपने अनुषांगिक संगठन बना चुकी भाजपा व CM शिवराजसिंह जी अब यह भी बता दें कि पूर्व में पड़े IT छापों में नरोत्तम मिश्रा जी,अजय विश्नोई जी का भी नाम सामने आया था,विश्नोई जी को तो कमीशनबाजी मंत्री तक कहा गया था,एक प्रकरण में PM व शिवराजजी भी नाम आया था,FIR होगी?'

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में कथित तौर पर कालेधन के लेनदेन के मामले में 64 विधायकों के नाम लिए जा रहे हैं। इनमें 13 विधायक रिपोर्ट आने से पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इनमें शिवराज सरकार के दो सिंधिया समर्थक मंत्रियों के अलावा राहुल लोधी, नारायण पटेल, बिसाहूलाल सिंह, रक्षा सिरोनिया, प्रद्युमन सिंह तोमर, राज्यवर्धन दत्तीगांव, गिर्राज दंडोतिया, कमलेश जाटव, रणवीर जाटव, एदल सिंह कंसाना, सुमित्रा कासदेकर, प्रद्युम्न लोधी के नाम शामिल हैं।

बताया जा रहा है कि निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद सरकार इन सभी नेताओं पर एफआईआर करने की तैयारी में है। हालांकि, इनसब के बीच एक बात जो कही जा रही है वह ये है कि सीएम शिवराज सिंधिया खेमे को कंट्रोल करने और उन्हें दबाव में रखना चाहते है। चर्चा तो यहां तक हो रही है कि इस बात से नाराज सिंधिया समर्थक इस्तीफा भी दे सकते हैं।