मध्य प्रदेश पुलिस में अधिकारियों की भारी कमी, जांच पर पड़ रहा है गंभीर असर

प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लटके होने के कारण मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग में 12,810 पद खाली पड़े हैं, इन्हें ऑनरेरी प्रमोशन से भरने का प्रस्ताव है

Updated: Nov 18, 2020, 05:24 PM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस अपने पास आने वाले बहुत सारे मामलों की जांच ठीक से नहीं कर पा रही है। पुलिस विभाग में जांच के काम से जुड़े हज़ारों पदों का खाली पड़े रहना इसकी बड़ी वजह है। हालात इतने खराब हैं कि सिर्फ उन्हीं मामलों की जांच हो पा रही है जो या तो बेहद हाई प्रोफाइल हैं या फिर काफी चर्चित हो गए हैं। कई मामले तो ऐसे भी हैं, जिनमें जांच लंबे समय तक पेंडिंग रहने के बाद क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी जा रही है, जबकि अगर पर्याप्त जांच अधिकारी होते और ठीक से जांच होती तो शायद उनमें कोई अहम नतीजा निकल सकता था।

दरअसल यह सारी समस्या मई 2016 में प्रमोशन में आरक्षण का नियम समाप्त किए जाने की वजह से हो रही है, जिसके कारण पुलिस विभाग में प्रमोशन पर रोक लगी हुई है। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका हुआ है। इस बीच, पिछले 2 साल में मध्य प्रदेश के करीब 2000 पुलिसकर्मी बगैर प्रमोशन के रिटायर हो चुके हैं।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रमोशन बंद होने की वजह से पुलिस विभाग में 12,810 पद खाली पड़े हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत विवेचना अधिकारियों यानी जांच का काम करने वाले पुलिसकर्मियों की कमी के कारण हो रही है। यही वजह है कि पुलिस मुख्यालय की प्रशासन शाखा ने प्रदेश के गृह मंत्रालय से जांच अधिकारियों के 12,810 खाली पड़े पदों को ऑनरेरी प्रमोशन के जरिए भरने की इजाजत मांगी है। 

पुलिस विभाग ने गृह मंत्रालय से अनुरोध किया है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक फिलहाल पुलिसकर्मियों का ऑनरेरी आधार पर प्रमोशन कर दिया जाए, ताकि जांच के इंतज़ार में लटके पड़े मामलों को पुलिस प्रभावी ढंग से निपटा सके। इससे विचारधीन आपराधिक मामलों की संख्या काफी हद तक कम की जा सकेगी।

पुलिस मुख्यालय की प्रशासन शाखा ने गृह विभाग से की गई सिफारिश में बताया है कि फिलहाल पूरे प्रदेश में डीएसपी, एएसआई, हवलदार, सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर स्तर के 12810 पद खाली पड़े हैं। इन सभी पदों को ऑनरेरी प्रमोशन से भरा जा सकता है। ऑनरेरी प्रमोशन एक तरह का सशर्त प्रमोशन है, जिसमें कर्मचारी को मिलने वाले लाभ अंतिम रूप से सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर होंगे, लेकिन फिलहाल वो नए पद के हिसाब से जांच की जिम्मेदारी निभा पाएंगे, जिससे पुसिस को अपने कामकाज को ठीक ढंग से चलाने में मदद मिलेगी।