Migration : रोजगार की मजबूरी में शहर लौट रहे हैं मजदूर

Corona Effect : Lockdown के दौरान करोड़ों प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए थे, कम्पनियाँ कर रही वापसी और 14 दिन के क्‍वारंटाइन का इंतज़ाम

Publish: Jul 20, 2020, 03:47 AM IST

Pic: Swaraj Express
Pic: Swaraj Express

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच अपने गांवों को लौटने वाले वाले प्रवासी मजदूरों ने एक बार फिर से शहरों की राह पकड़ ली है। धीरे-धीरे वे शहरों को लौट रहे हैं। उद्योग के लोगों का कहना है कि इसके अलावा कुछ कंपनियों द्वारा खुद प्रवासी मजदूरों को परियोजना स्थलों पर वापस लाया जा रहा है। देश में अभी अनलॉक 2.0 चल रहा है और लॉकडाउन की वजह से बंद हुई परियोजनाओं में काम फिर शुरू हो चुका है। हालांकि, ज्यादातर परियोजनाओं में क्षमता के 50 प्रतिशत पर काम हो रहा है क्योंकि ज्यादातर श्रमिक अब तक लौट नहीं पाए हैं।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बड़ी परियोजनाएं रुकने की वजह से इंजीनियरिंग कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। अब ये कंपनियां छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों से श्रमिकों को खुद वापस लाने की पहल कर रही हैं ।

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के अनुसार इंजीनियरिंग कंपनियों द्वारा दाहिसर पूर्व-अंधेरी पूर्व मेट्रो-7 लाइन परियोजना के काम को पूरा करने के लिए हजारों श्रमिकों को वापस लाया गया है। इसके अलावा रीयल एस्टेट कंपनियां भी श्रमिकों को खुद वापस लाने की पहल कर रही हैं, ताकि अटकी परियोजनाओं को पूरा किया जा सके।

श्रमिकों के एक ठेकेदार ने बताया, ‘‘श्रमिक वापस आ रहे हैं क्योंकि उन्हें रोजगार की जरूरत है। आमतौर पर इस सीजन में श्रमिक खेती या शादी-ब्याज में शामिल होने के लिए अपने घरों को लौट जाते हैं, लेकिन वे जल्दी वापस आ जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से ये श्रमिक डर से घरों को लौट गए थे। अब निर्माण गतिविधियां शुरू होने के बाद वे वापस लौटने लगे हैं। कुछ ट्रेनों से वापस आ रहे हैं, तो कुछ और को ठेकेदार वापस ला रहे हैं।हालांकि, श्रमिकों के वापस लौटने के लिए केवल कोविड-19 का डर जिम्मेदार नहीं था बल्कि लॉकडाउन के दौरान उनका रोजगार खत्म हो जाना एक प्रमुख कारण था। भारतीय रेलवे का कहना है कि उसने देश के विभिन्न हिस्सों से विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों से 50 लाख मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है।

इस बीच, कुछ राज्य श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए स्थानीय श्रमबल से काम ले रहे हैं। कुछ रीयल एस्टेट डेवलपर्स अपने खर्च पर श्रमिकों को वापस लाने का प्रबंध कर रहे हैं। साथ ही वे दिशानिर्देशों के अनुरूप उनके क्वारंटीन का भी प्रबंध कर रहे हैं। पूर्वांकरा समूह के प्रबंध निदेशक आशीष पूर्वांकरा ने बताया, ‘‘हम अपनी परियोजनाओं को पूरा कर ग्राहकों को उनकी आपूर्ति करना चाहते हैं। इसी वजह से हम श्रमिकों की वापसी यात्रा और उनके 14 दिन के क्‍वारंटाइन का प्रबंध कर रहे हैं। यहीं नहीं इन दिनों के लिए श्रमिकों को उनकी मजदूरी भी दी जा रही है।’’

महाराष्ट्र सरकार ने स्थानीय लोगों को सरकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भाग लेने का न्योता दिया है। सरकार के कौशल विकास विभाग ने हाल में एमएमआरडीए की विभिन्न परियोजनाओं के लिए ऑनलाइन रोजगार मेले के जरिये 17,000 स्थानीय लोगों की नियुक्ति की है। महाराष्ट्र के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री नवाब मलिक ने हाल में कहा, ‘‘हम कौशल की कमी को पूरा करने के लिए लगातार उद्योग संगठनों और सरकारी विभागों से बातचीत कर रहे हैं। जहां भी जरूरत है, हम स्थानीय लोगों को कुशल बनाने का काम कर रहे हैं।’’