नरेंद्र डिस्ट्रक्टिव एलायंस, शपथ ग्रहण से पहले कांग्रेस का NDA गठबंधन पर तीखा हमला

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी को बहुत बड़ी व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार का सामना करना पड़ा है। मोदी को उस संविधान के सामने झुकना पड़ा जिसे उन्होंने पिछले दशक में नष्ट किया है।

Updated: Jun 09, 2024, 02:06 PM IST

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले कांग्रेस ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को निशाने पर लिया है। कांग्रेस ने कहा कि आज शाम वह ‘नरेन्द्र डिस्ट्रक्टिव एलायंस’ (NDA) के नेता के तौर पर शपथ लेंगे। जयराम रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा कि नए संसद भवन में सेनगोल स्थापित कर न केवल मोदी के सम्राट होने के लिए इतिहास गढ़ा गया बल्कि तमिल मतदाताओं को रिझाने के लिए भी प्रयास किया गया। हालांकि वह सभी वैधता खो चुके हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'क्या आप लोगों को 28 मई, 2023 का दिन याद है? यह वह दिन था जब नरेंद्र मोदी नए संसद भवन में उस सेंगोल के साथ आए थे, जिसके लिए 15 अगस्त 1947 का इतिहास गढ़ा गया था। यह न केवल मोदी के सम्राट होने के ढोंग को सही ठहराने के लिए बल्कि तमिल मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए किया गया था। उस दिन ही मैंने दस्तावेजों का इस्तेमाल करके मोदी के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था।'

जयराम रमेश ने आगे कहा, 'हमें पता है उस ड्रामे का नतीजा क्या निकला। सेंगोल तमिल इतिहास का एक सम्मानित प्रतीक है। तमिल मतदाताओं और वास्तव में भारत के मतदाताओं ने मोदी के ढोंग को सिरे से नकार दिया।' कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मोदी को भारी व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी को उस संविधान के सामने झुकना पड़ा, जिसे उन्होंने पिछले एक दशक में नष्ट किया था।

वहीं, एक अन्य पोस्ट में रमेश ने पीएम मोदी के राजघाट दौरे पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि आप ट्रैक रिकॉर्ड देखिए। उनके वैचारिक सहयोगियों ने शत्रुता और घृणा का ऐसा विषाक्त वातावरण बनाया, जिसके परिणामस्वरूप 30 जून 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। उन्होंने आगे कहा कि वे अपने उन साथियों को कभी नहीं टोकते जो गोडसे को एक नायक की तरह पेश करते हैं। मोदी ने संसद भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा को एक बार नहीं बल्कि दो बार विस्थापित किया। 

रमेश ने आगे कहा कि उन्होंने झूठा दावा किया कि 1982 में एटनबरो द्वारा बनाई गई फिल्म से पहले महात्मा गांधी को दुनिया जानती ही नहीं थी। सिलसिलेवार वह वाराणसी, अहमदाबाद और अन्य जगहों पर गांधीवादी संस्थाओं को ध्वस्त और नष्ट कर रहे है। एक-तिहाई प्रधानमंत्री के दोगलेपन की शायद ही विश्व में कोई और बराबरी कर सकता है।