हिंदुओं के कोई देवता ऊंची जाति के नहीं हैं और ब्राह्मण तो कतई नहीं: JNU वाइसचांसलर

भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हो सकते हैं, हिंदू धर्म नहीं जीवन जीने की पद्धति है, हम आलोचना से डरते क्यों हैं, कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है, मनुस्मृति में महिलाओं को शुद्र का दर्ज मिला है

Updated: Aug 23, 2022, 06:25 AM IST

नई दिल्ली। जेएनयू की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने भगवान शिव को शूद्र बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं है। भगवान शिव SC या ST से होने चाहिए, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मनुस्मृति के मुताबिक, सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है।

दरअसल, JNU की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी ने अंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला में "डॉ बीआर आंबेडकर्स थॉट्स आन जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड" में व्याख्यान देते हुए अपने विचार रखे हैं। सोमवार को आयोजित इस व्याख्यान में उन्होंने कहा, ' ‘मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है और आपको जाति केवल पिता से या विवाह के जरिये पति की मिलती है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से प्रतिगामी है।'

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जेएनयू की वीसी ने 9 साल के एक दलित लड़के के साथ हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आप में से अधिकांश को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए। कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचा क्षत्रिय है। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह एक सांप के साथ एक श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं।'

शांतिश्री पंडित ने कहा कि लक्ष्मी, शक्ति, या यहां तक ​​कि जगन्नाथ सहित देवता मानव विज्ञान की दृष्टि से उच्च जाति से नहीं हैं। वास्तव में, जगन्नाथ का आदिवासी मूल है। उन्होंने कहा, ‘तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबा साहेब के विचारों पर फिर से सोच रहे हैं। हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था। हिंदू कोई धर्म नहीं है, यह जीवन जीने की एक पद्धति है और यदि यह जीवन जीने का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं।'