Farm Bills: कृषि कानून से बीजेपी का एक और सहयोगी नाराज, RLP ने कहा NDA में रहें या नहीं इस पर होगा विचार

मोदी सरकार के कृषि कानूनों से राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की पार्टी RLP भी खफा, शिरोमणि अकाली दल पहले ही छोड़ चुका है साथ

Updated: Oct 01, 2020, 02:06 AM IST

Photo Courtesy: News 18
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नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर एनडीए का साथ छोड़ चुके अकाली दल के बाद अब बीजेपी के और सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने भी नाराजगी जताई है। पार्टी के प्रमुख और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि वह इस मामले में पूरी तरह किसानों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आपत्तियों को लेकर पार्टी में चर्चा होगी और यह विचार भी किया जाएगा कि पार्टी को एनडीए में बने रहना है या नहीं। इससे पहले हरियाणा में बीजेपी सरकार को समर्थन दे रहे जेजेपी के दो विधायक भी किसानों के प्रदर्शन में भाग ले चुके हैं। जेडीयू भी एमएसपी को लेकर नया कानून लाने की मांग कर चुकी है।

बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल की आपत्ति यह है कि इन विधेयकों को संसद में पेश करने से पहले बीजेपी ने अपने सहयोगियों को विश्वास में नहीं लिया। साथ ही साथ बेनीवाल ने बताया कि पार्टी मुख्य रूप से दो मुद्दों पर अपनी आपत्ति सामने रख रही है। पहला यह कि मंडियों के बाहर फसल खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य की शर्त शामिल नहीं है और दूसरी आपत्ति यह कि निजी कंपनियां किसानों से खरीद में थर्ड पार्टी की भूमिका निभाएंगी। 

बेनीवाल ने आगे कहा कि वे प्रधानमंत्री से मिलकर उनके सामने अपनी आपत्तियां रखेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही वे आगे के कदम पर फैसला करेंगे। बेनीवाल का कहना है कि वे कॉरपोरेट के हाथों किसानों का शोषण नहीं चाहते। 

दरअसल, अकाली दल की तरह ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल का एक बड़ा वोट बैंक किसान हैं। ऐसे में पार्टी किसानों की नाराजगी को हजम नहीं कर पाएगी। इसलिए अचानक से बेनीवाल को सफाई देनी पड़ी है। संसद में बेनीवाल की पार्टी ने इन विधेयकों के ना तो समर्थन में  और ना ही विरोध में वोटिंग की थी। बेनीवाल का कहना है कि उस समय इस मुद्दे पर विचार विमर्श करने का पार्टी के पास समय नहीं था। 

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राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल कांग्रेस और बीजेपी के बाद तीसरी सबसे बड़ी ताकत है। पार्टी के पास राज्य में एक सांसद और तीन विधायक हैं। इन ने कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार के साथ दिखने पर पार्टी की राजनीतिक जमीन खिसक सकती है।