Protest in Parliament: संसद परिसर में विपक्षी सांसदों का मौन जुलूस, कृषि विधेयकों के खिलाफ हुए एकजुट

गुलाम नबी आजाद के चैंबर में हुई बैठक में आगे की रणनीति पर विचार, शाम 5 बजे राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्षी नेता

Updated: Sep 24, 2020, 01:34 AM IST

नई दिल्ली। विपक्षी दलों के तमाम सांसदों ने आज संसद में मौन जुलूस निकालकर मोदी सरकार के कृषि विधेयकों का विरोध किया। डॉ अंबेडकर की प्रतिमा से महात्मा गांधी की प्रतिमा तक निकाले गए इस मौन जुलूस में संसद के दोनों सदनों के विपक्षी सांसदों ने हिस्सा लिया। देश के अधिकांश विपक्षी दल तीनों कृषि विधेयकों और आठ राज्यसभा सांसदों के निलंबन के विरोध में संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं।

किसान बचाओ, कामगार बचाओ, लोकतंत्र बचाओ

प्रदर्शन में शामिल सांसदों के हाथों में मौजूद तख्तियों पर किसान बचाओ, कामगार बचाओ, लोकतंत्र बचाओ जैसे नारे लिखे हुए थे। सांसदों का ये मौन जुलूस बापू की प्रतिमा पर खत्म हुआ, जहां सभी सांसद एक लाइन में खड़े रहे। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, डीएमके, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने हिस्सा लिया।

मोदी सरकार ने रबरस्टैंप की तरह किया संसद का इस्तेमाल

राज्य सभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने ट्विटर पर विरोध प्रदर्शन की तस्वीर शेयर करते इस हुए लिखा है, “कांग्रेस और समान विचार वाले सभी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों ने डॉक्टर अंबेडर की प्रतिमा से महात्मा गांधी की प्रतिमा तक मौन जुलूस निकालकर किसान और कामकार विरोधी विधेयकों का विरोध किया। मोदी सरकार ने संसद का इस्तेमाल रबरस्टैंप की तरह करके इन विधेयकों को जिस ढंग से पारित कराया है, वो बेहद अलोकतांत्रिक है।” कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सांसदों के मौन जुलूस की तस्वीर के साथ ही साथ उसका वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया है, जिसमें तमाम विपक्षी सांसद हाथों में पोस्टर लिए मौन जुलूस निकालते नज़र आ रहे हैं।

 

 

विपक्ष की बैठक में बनी आगे की रणनीति

इससे पहले विपक्षी सांसदों ने राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद के चैंबर में बैठक की, जिसमें कृषि विधेयकों के खिलाफ आगे की रणनीति पर विचार किया गया। विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को संसद में पारित कराए जाने के तरीके का विरोध करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें राष्ट्रपति से इन विधेयकों पर दस्तखत न करने का अनुरोध किया गया है। गुलाम नबी आज़ाद इस सिलसिले में राष्ट्रपति से मिलने भी वाले हैं।