अस्पताल की प्राथमिकताओं में मरीज़ नहीं मरम्मत, प्रधानमंत्री के दौरे से पहले मोरबी का अस्पताल चमकाया

पीएम मोदी आज उस जगह का दौरा करेंगे जहां पुल टूटने से हादसा हुआ, इसके बाद घायलों का हाल जानने अस्पताल जाएंगे, पीएम मोदी के दौरे से पहले रातों-रात अस्पताल में नए टाइल्स लगाए गए, ताकि फोटो सेशन बढ़िया हो।

Updated: Nov 01, 2022, 03:54 AM IST

मोरबी। गुजरात के मोरबी में हुए दुखद हादसे से पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। इस हादसे में 140 से ज्यादा निर्दोष लोगों कि मौत हो गई, जबकि करीब 100 लोग अभी भी लापता हैं। पीएम मोदी आज उस जगह का दौरा करेंगे जहां पुल टूटने से हादसा हुआ, इसके बाद घायलों का हाल जानने अस्पताल जाएंगे। यहां फोटो सेशन में कोई कसर बाकी नहीं रहे इसलिए रातों रात अस्पताल को चमकाया गया।

मोरबी अस्पताल से गुजरात सरकार की संवेदनहीनता की कई तस्वीरें सामने आई है। इनमें देखा जा सकता है कि घायलों को उचित इलाज मुहैया कराने के बजाए अस्पताल प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर रंगाई पुताई का काम कराया जा रहा है। दरअसल, यहां अचानक पीएम मोदी का दौरा तय हुआ। ऐसे में रात में ही रंगाई पुताई से लेकर नए टाइल्स लगाने तक के सारे काम पूरे किए गए। अस्पताल को बाहरी तौर पर चमकाया गया।

विपक्ष इस मामले पर आक्रामक है। कांग्रेस ने इसे त्रासदी का इवेंट कहा तो आम आदमी पार्टी ने इसे भाजपा के फोटोशूट से पहले की तैयारी करार दिया। कांग्रेस ने ट्वीट किया, 'त्रासदी का इवेंट। कल PM मोदी मोरबी के सिविल अस्पताल जाएंगे। उससे पहले वहां रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। चमचमाती टाइल्स लगाई जा रही हैं। PM मोदी की तस्वीर में कोई कमी न रहे, इसका सारा प्रबंध हो रहा है। इन्हें शर्म नहीं आती! इतने लोग मर गए और ये इवेंटबाजी में लगे हैं।'

आप ने ट्वीट किया, 'मोरबी सिविल अस्पताल में रातों रात रंग-पुताई की जा रही है ताकि कल PM Modi के फोटोशूट में घटिया बिल्डिंग की पोल ना खुल जाए। 141 लोग मर चुके हैं, सैकड़ों लोग लापता हैं, असली दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन भाजपाइयों को फोटोशूट करके लीपापोती की पड़ी है।'

हादसे को लेकर राज्य सरकार ने 2 नवंबर को एकदिवसीय राजकीय शोक का ऐलान किया है। इस दिन प्रदेश में झंडा आधा झुका रहेगा। हालांकि, हादसे में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है, इसपर राज्य सरकार ने चुप्पी साध रखी है।

बता दें कि पुल की मरम्मत का काम अजंता मैनुफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) को मिला था। खास बात ये है कि यह कंपनी घड़ियां, एलईडी लाइट, सीएफएल बल्ब बनाती है। ब्रिज मेंटेनेंस के क्षेत्र में यह कंपनी काम ही नहीं करती। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि बल्ब बनाने वाली कंपनी को ब्रिज मेंटेनेंस का ठेका कैसे दिया गया?