Parliament Protest: संसद परिसर में पहली बार रात भर धरना, निलंबन के खिलाफ विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन जारी
विपक्ष ने निलंबन को बताया लोकतंत्र विरोधी, सरकार ने कहा, सांसदों का आचरण असंवैधानिक
नई दिल्ली। देश की संसद के परिसर में चार विपक्षी दलों के निलंबित सांसद रात भर धरने पर बैठे रहें, तो यह कोई आम बात नहीं है। धरने का मकसद है विपक्ष के आठ राज्यसभा सांसदों के निलंबन की कार्रवाई का विरोध करना। इन निलंबित सांसदों में कांग्रेस के तीन, टीएमसी के दो, सीपीएम के दो और आम आदमी पार्टी के एक सांसद शामिल हैं। इन सभी को राज्यसभा के बाकी बचे सत्र के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया है।
संसद परिसर में धरने के दौरान तृणमूल सांसद डोला सेना और आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह सरकार के खिलाफ अपनी नाराज़गी का इज़हार करने के लिए आंदोलन में गाए जाने वाले गीत गाते भी नज़र आए। संजय सिंह ने धरने और उसमें गाए जा रहे गीत का वीडियो ट्वीट भी किया।
वीरों की ये बाट है भाई कायर का नही काम रे भैया कायर का नही काम सर पर बाँध कफ़न जो निकले बिन सोचें परिणाम रे कायर का नही काम रे भैया कायर का नही काम। pic.twitter.com/U0yyxfqE9h
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) September 21, 2020
इससे पहले निलंबित सांसदों ने सोमवार को दिन में सभापति का फैसला आने के बाद भी सदन के बाहर जाने से इनकार कर दिया। सांसदों के इस अनोखे विरोध के चलते पहले तो सदन की कार्यवाही बार-बार रोकी गई और आखिरकार मंगलवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू का कहना है कि उन्होंने आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का फैसला रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के दौरान उनके मर्यादाहीन बर्ताव को ध्यान में रखते हुए किया है। सभापति ने ये फैसला सरकार की तरफ से शिकायत किए जाने के बाद किया।
There is enough visual evidence available that if the Marshals would have not protected the Deputy Chairperson of (Rajya Sabha) Harivansh Ji, he would have been nearly physically assaulted: Union Minister Ravi Shankar Prasad https://t.co/vmbmmHqTNS
— ANI (@ANI) September 21, 2020
सरकार का कहना है कि विपक्षी सांसदों का बर्ताव पूरी तरह गलत और असंवैधानिक है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि रविवार को अगर मार्शल बीच में न आ जाते तो विपक्षी सांसद उप-सभापति हरिवंश प्रसाद सिंह पर शारीरिक रूप से हमला कर देते। इतना ही नहीं, निलंबित किए जाने के बाद सदन से बाहर जाने से इनकार करके उन्होंने अमर्यादित आचरण की एक और मिसाल पेश की है।
The bills were passed without voting (in Rajya Sabha) yesterday against which Opposition MPs protested. The government and the presiding officer are at fault but Opposition MPs are being punished: Ghulam Nabi Azad, Leader of Opposition in Rajya Sabha https://t.co/sh4VQPNPHW pic.twitter.com/VBkjRINhjA
— ANI (@ANI) September 21, 2020
उधर विपक्ष के नेता रविवार से लेकर अब तक राज्यसभा में किए गए सरकार के बर्ताव को तो गलत बता ही रहे हैं, साथ ही वो सभापति और उप-सभापति समेत तमाम पीठासीन अधिकारियों के तौर-तरीकों की भी कड़ी आलोचना कर रहे हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि राज्यसभा में पहले तो कृषि विधेयकों को बिना मतदान के पारित करा दिया गया और जब विपक्षी सांसदों ने विरोध किया तो उन्हें सज़ा दी गई। जबकि गलती सांसदों की नहीं, बल्कि पीठासीन अधिकारी की थी।
A delegation of Shiromani Akali Dal met the President and requested him not to sign on 'anti-farmer' bills that have been forcefully passed in Rajya Sabha. We requested him to send back the bills to the Parliament: Shiromani Akali Dal president Sukhbir Singh Badal pic.twitter.com/C5i2qeY7sI
— ANI (@ANI) September 21, 2020
कृषि विधेयकों को लौटा दें राष्ट्रपति : बादल
इस पूरे विवाद के बीच सरकार के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। सुखबीर बादल ने मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से शिकायत की है कि रविवार को राज्यसभा में किसान विरोधी कानून जबरदस्ती पारित करवा लिए गए, लिहाजा वो उन पर दस्तखत करने की जगह उन्हें संसद को वापस लौटा दें। हम आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल कृषि विधेयकों के विरोध में मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुकी हैं। हालांकि पार्टी मोदी सरकार को अब भी बाहर से समर्थन दे रही है।
The protesting Parliamentarians are @derekobrienmp and Dola Sen of the Trinamool Congress, Rajeev Satav, Ripun Bora, and Syed Naseer Hussain of the Congress, @SanjayAzadSln of the Aam Aadmi Party and KK Ragesh and E Kareem of the Communist Party of India-Marxist. pic.twitter.com/RcGCzQAolK
— IANS Tweets (@ians_india) September 21, 2020
संसद परिसर में धरने पर सांसद, अब क्या करेगी सरकार
जिन कृषि विधेयकों को लेकर सरकार और विपक्ष में टकराव लगातार तेज़ हो रहा है, उन्हें न सिर्फ शिरोमणि अकाली दल जैसे सहयोगी, बल्कि आरएसएस से जुड़े किसान संगठन भी किसान विरोधी बता रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि तमाम मुद्दों पर आरएसएस की राय को अहमियत देने वाली मोदी सरकार इस बार उसके विरोध को भी दरकिनार करती नज़र आ रही है।