प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को किया गुमराह, लगातार बदलते रहे गोल पोस्ट: दिग्विजय सिंह

प्रशांत किशोर कहते हैं कि उनका IPAC में कोई निवेश व संबंध नहीं है परंतु वे IPAC को नियंत्रित करते है और टीआरएस के साथ IPAC की डील करवाते हैं, ये तो विरोधाभासी बात हुई

Updated: May 18, 2022, 08:23 AM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पहली बार स्पष्ट किया है कि प्रशांत किशोर के साथ कांग्रेस की बातचीत क्यों टूटी। दिग्विजय सिंह का कहना है कि वे लगातार गोलपोस्ट बदलते रहे हैं। एक जगह, एक विचारधारा का होकर काम करने की उनकी प्रतिबद्धता न होने से ही किशोर कांग्रेस से जुड़ नहीं सके।  

एक निजी यूट्बूर को दिए साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया कि प्रशांत किशोर के साथ क्या गलत हुआ? क्या आप उन लोगों में शामिल थे जिन्हें प्रशांत किशोर पर भरोसा नहीं था और जिन्होंने उनका विरोध किया। दिग्विजय सिंह ने खुलासा किया कि प्रशांत किशोर एक अच्छे स्टेटिसियन है, उनका प्रेजेंटेशन बहुत अच्छा था। परंतु प्रशांत किशोर अलग अलग राजनीतिक विचारधारा वाले कई लोगों के साथ काम कर चुके हैं और गोल पोस्ट बदलते रहे हैं।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि, मैं उस चर्चा का हिस्सा था जहां प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेताओं के समूह के सामने प्रेजेंटेशन दिया। मैं उनके लिए बहुत सकारात्मक था। मेरा आग्रह इतना ही था कि उन्हें एक निर्णय लेना चाहिए कि वे कांग्रेस पार्टी के साथ हैं या नहीं, आप यहां एक सक्रिय कांग्रेस नेता के रूप में, कांग्रेस की विचाराधार के साथ आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी के साथ हैं। इसलिए मैने कहा कि उन्हें अन्य राजनैतिक दलों के लिए कंसल्टेंसी छोड़नी चाहिए परंतु वे इस पर स्पष्ट नहीं थे।

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उन्होंने कहा कि उनका IPAC में कोई निवेश व कोई संबंध नहीं है, परंतु अगले क्षण कहा कि वे IPAC को नियंत्रित करते हैं ये तो विरोधाभासी है। उन्होंने कहा कि एंपावर्ड एक्शन ग्रुप का गठन होना चाहिए, हमने स्वीकार किया और उनका उसका अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भी दिया परंतु फिर उन्होनें मना कर दिया। प्रशांत किशोर ने वायदा किया कि जब तक कांग्रेस के साथ उनकी चर्चा चल रही है वे टीआरएस के साथ समझौता नहीं करेंगे और अगले दिन IPAC ने टीआरएस के साथ एग्रीमेंट कर लिया, हमें गुमराह किया गया।
अगले प्रश्न कि प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच किस एक मुद्दे पर बातचीत खत्म हो गई??
श्री सिंह ने कहा कि मैं प्रशांत किशोर के खिलाफ नहीं हूं, परंतु उनके कुछ मुद्दे थे, वे कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी से सीधी पहुंच चाहते थे, हमें EAG को कांग्रेस संविधान के तहत अधिकार देने में कोई दिक्कत नही थी।

 


राहुल गांधी के दिए गए बयान पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी जी ने जो कहा वो राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में कहा राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है, क्षेत्रीय दलों का रोल केवल राज्य तक ही सीमित रहता है। 
कांग्रेस पार्टी अकेला ऐसा दल हैं जिसने कभी भाजपा के साथ कभी गठबंधन नहीं किया। श्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी न हिंदू, मुसलमान की समर्थक हैं और न विरोधी है, कांग्रेस पार्टी ने धर्म को राजनैतिक हटियार के रूप में उपयोग नहीं किया और राजनीति में धर्म का उपयोग जन प्रतिनिधि कानून का उलंघन है लेकिन लोग खामोश हैं। सिंह ने ज्ञानवापी मामले पर कहा कि हमारा राम मंदिर के मामले पर हमारा स्टैंड स्पष्ट था कि हम सुप्रीम के फैसले का सम्मान करेंगे लेकिन ये दुर्भाग्य हैं कि अर्थव्यवस्था कहा जा रही है, महंगाई, बेरोजगारी बढ़ती का रही हैं, रुपये की कीमत गिरती जा रही है, इन सभी बातों को नजरंदाज कर रहे हैं और जिन मुद्दों पर चर्चा हो रही है उनसे देश में केवल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर बढ़ रहा है, सुनियोजित ढंग से सांप्रदायिक दंगा कराए जा रहे हैं।