पंजाब की राजनीति में ट्विस्ट, बादल को मिला मायावती का साथ, 25 साल बाद अकाली दल-बीएसपी में गठबंधन

पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले सुखबीर बादल का बड़ा दांव, बीएसपी के साथ किया गठबंधन, राज्य के 31 फीसदी दलित वोटर्स को साधने की जुगत

Updated: Jun 12, 2021, 05:23 AM IST

Photo Courtesy: India TV
Photo Courtesy: India TV

चंडीगढ़। विधानसभा चुनाव के पहले पंजाब की राजनीति में एक नया ट्विस्ट देखने को मिल सकता है। खबर है कि शिरोमणि अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक आज ही गठबंधन का औपचारिक ऐलान भी हो जाएगा। साल 1996 लोकसभा चुनावों के बाद  बाद मायावती ने एक बार फिर सुखबीर बादल से हाथ मिलाया है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक गठबंधन का ऐलान करने के लिए बीएसपी महासचिव सतीश मिश्रा चंडीगढ़ पहुंच गए हैं। दोनों दलों के बीच चुनाव के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर भी सहमति बन गयी है। बताया जा रहा है कि अकाली दल आगमी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 18 सीटें देने पर राजी हो गया है। हालांकि, बीएसपी ने 23 सीटों का डिमांड रखा था। पंजाब में बड़ी संख्या में दलित मतदाताओं के होने की वजह से यह गठबंधन काफी अहम माना जा रहा है।

यह भी पढ़ें: 12 मिनट के फ़ोन कॉल से संकट में नीतीश की कुर्सी, जेल से निकलते ही लालू ने खेला सियासी दांव

दरअसल, पंजाब में करीब 31 फीसदी दलित मतदाता हैं। ऐसे में सुखबीर बादल को पता है कि दलितों का वोट कितना अहम है। वे पहले ही ऐलान कर चुके हैं की यदि वे सत्ता में आते हैं तो किसी दलित को डिप्टी सीएम बनने का मौका मिलेगा। विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर एनडीए से अलग होने के बाद अकाली दल को गठबंधन की सख्त जरूरत थी। ऐसे में सुखबीर बादल ने साल 1996 लोकसभा चुनाव वाले फॉर्मूले को बेहतर समझा।

साल 1996 में लोकसभा चुनावों के दौरान भी अकाली दल ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया था। इस दौरान पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 11 को जीतने में वे कामयाब हुए थे। मायावती की बीएसपी से 3 सांसद चुनकर आए थे। वहीं अकाली दल ने 10 में से 8 सीटों पर चुनाव जीता था। हालांकि, अगले ही साल विधानसभा चुनाव आते-आते यह गठबंधन टूट गया था, जिसके बाद अकाली दल ने बीजेपी से हाथ मिला लिया था।