Rahul Gandhi: सिकुड़ती जीडीपी पर तंज मोदी है तो मुमकिन है

Corona Effect: आजादी के बाद जीडीपी के सबसे बुरी स्थिति में होने की आशंका, आर्थिक मुद्दों पर राहुल गांधी लगातार घेर रहे हैं केंद्र सरकार को

Updated: Aug 13, 2020, 12:12 AM IST

photo courtesy : Navbharat Times
photo courtesy : Navbharat Times

नई दिल्ली। इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने आर्थिक वृद्धि दर के आजादी के बाद सबसे खराब स्थिति में होने की आशंका जताई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने इस खबर का स्क्रीनशॉट अपलोड करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘मोदी है तो मुमकिन है।’

साफ्टवेयर क्षेत्र में बड़ी पहचान रखने वाले नारायणमूर्ति ने ‘‘भारत की डिजिटल क्रांति का नेतृत्व’’ पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग लेने के दौरान कहा, “भारत की जीडीपी में कम से कम पांच प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसी आशंका है कि हम 1947 की आजादी के बाद की सबसे बुरी जीडीपी वृद्धि (संकुचन) देख सकते हैं।”

उन्होंने जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की बात भी कही। साथ ही मूर्ति ने ऐसी एक नई प्रणाली विकसित करने पर भी जोर दिया जिसमें देश की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में प्रत्येक कारोबारी को पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति हो।

नारायण मूर्ति ने कहा, ‘‘वैश्विक जीडीपी नीचे गई है। वैश्विक व्यापार डूब रहा है, वैश्विक यात्रा करीब करीब नदारद हो चुकी है। ऐसे में वैश्विक जीडीपी में पांच से 10 प्रतिशत तक की कमी आने का अनुमान है।’’

मूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगने के पहले दिन से ही उनका यही विचार रहा है कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ ही जीवन जीने के लिये तैयार होना होगा। इसके लिये तीन वजह हैं -इसकी कोई दवा नहीं है, कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और अर्थव्यवस्था को रोका नहीं जा सकता है।

इस महामारी का सबसे पहले संभावित टीका आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से आने की उम्मीद है। यह टीका देश में छह से नौ माह के भीतर ही उपलब्ध हो पायेगा। मूर्ति ने कहा, ‘‘यदि हम प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को भी टीका लगाते हैं तब भी सभी भारतीयों को टीका लगाने में 140 दिन लग जायेंगे। यह इस बीमारों को फैलने से रोकने में लंबी अवधि है।’’

प्रौद्योगिकी क्षेत्र की इस हस्ती ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में हम अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकते हैं। कुल मिलाकर 14 करोड़ कर्मचारी इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं। इसलिये समझदारी इसी में है कि एक नई सामान्य स्थिति को परिभाषित किया जाये। यह स्थिति पृथ्वी पर आगे बढ़ते हुये और वायरस से लड़ते हुये अर्थव्यवस्था को वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाली होनी चाहिये। ’’

नारायण मूर्ति ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिये एक नई प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टीका तैयार हो जाने की स्थिति में हर व्यक्ति को टीका लगाने के लिये स्वास्थ्य ढांचा खड़ा किया जाना चाहिये। इसके साथ ही नये वायरस की इलाज की दिशा में भी काम होना चाहिये।

उधर दूसरी तरफ केंद्र सरकार खराब आर्थिक हालात के लिए कोरोना वायरस संकट को ही पूरी तरह से जिम्मेदार ठहरा रही है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पिछले छह साल में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही थी और अगर कोरोना संकट ना आता तो देश की अर्थव्यवस्था टॉप तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होती। हालांकि, आंकड़ों को अगर देखें तो कोरोना संकट आने से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था में नरमी आनी शुरू हो गई थी।