भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने पूरे, 31वें दिन भी सड़कों पर दिखा जनसैलाब

यात्रा के 30वें दिन गौरी लंकेश की मां हुईं यात्रा में शामिल, राहुल गांधी बोले- गौरी लंकेश और उनके जैसे अनगिनत अन्य लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा

Updated: Oct 08, 2022, 10:22 AM IST

बेंगलुरु। कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा को एक महीने पूरे हो चुके हैं। आज भारत जोड़ो यात्रा का 31वां दिन है। शनिवार को कर्नाटक के तुमकुरू स्थित मायासांद्रा से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत हुई। राहुल गांधी के नेतृत्व में आज भी हजारों लोगों का जनसैलाब सड़कों पर दिखा।

राहुल गांधी अबतक 700 किलोमीटर से अधिक का पदयात्रा कर चुके हैं। कांग्रेस ने शनिवार सुबह सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें सोनिया गांधी को भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होते हुए दिखाया गया है। 

कांग्रेस ने वीडियो को शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा, 'माँ का आशीर्वाद, जनता का साथ, भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहा है। हम देशवासियों से वादा करते हैं कि ये यात्रा आपसी सौहार्द, भाईचारे को बढ़ाने के साथ-साथ ज्वलंत मुद्दों को उठाएगी। आप साथ बनाए रखिए, हम हौसले जारी रखेंगे।'


इससे पहले शुक्रवार को भारत जोड़ो यात्रा में इंदिरा लंकेश व कवित लंकेश भी शामिल हुईं थीं। वे पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की मां व बहन हैं। गौरी की 2017 में हत्या कर दी गई थी। गौरी लंकेश की मां इंदिरा लंकेश राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाकर चल रही थी। करीब 3 किलोमीटर तक दोनों ने पैदल मार्च किया और उसके बाद राहुल गांधी ने इंदिरा लंकेश को कार में चलने के लिए कहा। 

कविता लंकेश ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, 'राहुल ने यह समझने की कोशिश की कि उन्होंने गौरी की हत्या क्यों की थी? राहुल ने अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की हत्या को याद किया। हम दोनों ने अपने किसी प्रिय को बहुत क्रूरता से खो दिया है।'

गौरी लंकेश की मां और बहन के साथ भारत जोड़ो यात्रा में चलने के बाद राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर गौरी लंकेश की सराहना की और कहा कि गौरी लंकेश साहस के लिए खड़ी थीं। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'गौरी सच्चाई के लिए खड़ी थीं, गौरी साहस के लिए खड़ी थीं, गौरी आजादी के लिए खड़ी थीं। मैं गौरी लंकेश और उनके जैसे अनगिनत अन्य लोगों के लिए खड़ा हूं, जो भारत की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत जोड़ो यात्रा उनकी आवाज है। इसे कभी भी चुप नहीं कराया जा सकता।'