Ashok Gehlot: हाईकमान ने माफ किया तो बागियों को गले लगा लूंगा

Rajasthan Political Crisis: प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान में चल रहा तमाशा बंद करवाएं,  बढ़ रहा है विधायकों की खरीद-फरोख्त का रेट

Updated: Aug 02, 2020, 09:18 AM IST

Photo Courtesy : Sudarshan News
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जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि जो लोग सरकार गिराने की साजिश में लगे थे, अगर वह आलाकमान के पास जाते हैं और आलाकमान उन्हें माफ कर देता है तो मैं उन्हें गले लगा लूंगा। मुझे पार्टी ने बहुत कुछ दिया है। तीन बार मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष रह चुका हूँ। जो भी कर रहा हूँ पार्टी और जनता की सेवा के लिए कर रहा हूँ। इसमें मेरा अपना कुछ भी नहीं है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह बयान सचिन पायलट कैंप के बागी विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के बयान के बाद आया है। उदयनगर के वल्लभनगर से विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा था कि हम सचिन पायलट के साथ हैं और जैसा वे कहेंगे वैसा ही करेंगे। हमने कांग्रेस पार्टी छोड़ने की बात कभी नहीं की। अगर पार्टी व्हिप जारी करती है तो हम निश्चित तौर पर विधानसभा सत्र में शामिल होंगे और पार्टी के अंदर रहकर अपनी आवाज उठाएंगे।

राजस्थान में चल रहा तमाशा बंद करवाएं पीएम

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजस्थान में चल रहे तमाशे को बंद करवाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को चाहिए कि राजस्थान में जो तमाशा चल रहा है उसे बंद करवाएं। यहां पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का रेट दिन-पर-दिन बढ़ रहा है। यह क्या तमाशा है?

सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनी हुई सरकारों को गिराने के खेल में लगी है और लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें यह सब करना पड़ रहा है। यह सब करते हुए हमें अच्छा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे बड़ी नेता हैं, उनसे टक्कर लेने के चक्कर में राजेंद्र राठौर और सतीश पूनिया सरकार गिराने की साजिश में लगे हैं। वसुंधरा राजे को नीचा दिखाने के लिए सब हो रहा है। 

हमारी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है

मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि दुर्भाग्य से इस बार प्रतिनिधियों की खरीद-फरोख्त का बीजेपी का खेल बहुत बड़ा है। वह कर्नाटक और मध्य प्रदेश का प्रयोग राजस्थान में कर रही है। पूरा गृह मंत्रालय इस काम में लग चुका है।हमें किसी की परवाह नहीं, हमें लोकतंत्र की परवाह है, हमारी लड़ाई किसी से नहीं है। यह विचारधारा, नीतियों एवं कार्यक्रमों की लड़ाई है। लड़ाई यह नहीं होती कि आप चुनी हुई सरकार को गिरा दें। हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, हमारी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है।