Agriculture Laws: केंद्रीय कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ राजस्थान सरकार भी लाएगी तीन नए बिल
Rajasthan Farm Bills: मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, पंजाब की तर्ज़ पर ही बनाएंगे किसानों के हित में तीन नए क़ानून, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा

जयपुर। पंजाब की तर्ज पर राजस्थान सरकार भी केंद्र के बनाए कृषि क़ानूनों को बेअसर करने के लिए विधानसभा में तीन नए बिल पारित करेगी। यह एलान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान कैबिनेट की बैठक ने केंद्र द्वारा हाल ही में पारित कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ विधेयक लाने का फ़ैसला कर लिया गया है। इसके लिए नवंबर के पहले सप्ताह में राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा।
राज्य कैबिनेट की मंगलवार शाम को हुई बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा किसानों से सम्बन्धित विषयों पर बनाए गए तीन नए कानूनों से राज्य के किसानों पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की गई। बैठक के बाद जारी सरकारी बयान के अनुसार कैबिनेट ने राज्य के किसानों के हित में फ़ैसला किया कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए शीघ्र ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए।
मंत्री परिषद ने प्रदेश के किसानों के हित में निर्णय किया कि उनके हितों को संरक्षित करने के लिए शीघ्र ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। सत्र में भारत सरकार द्वारा लागू किए गए कानूनों के प्रभाव पर विचार-विमर्श किया जाकर राज्य के किसानों के हित में वांछित संशोधन विधेयक लाए जाएं।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 20, 2020
कैबिनेट के फ़ैसले के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विटर पर यह भी लिखा है, ‘‘सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हमारे अन्नदाता किसानों के पक्ष में मजबूती से खड़ी है। हमारी पार्टी केंद्र सरकार के बनाए किसान विरोधी कानूनों का विरोध करती रहेगी। पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इन कानूनों के विरुद्ध विधेयक पारित किये हैं और राजस्थान भी जल्द ही ऐसा ही करेगा।''
कैबिनेट की बैठक में फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किए जाने का प्रावधान नए क़ानून में रखे जाने का फ़ैसला भी किया गया है। इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि व्यापारियों द्वारा किसानों की फसल खरीद के दौरान अगर कोई विवाद होता है, तो उसके निपटारे का अधिकार सिविल कोर्ट को होना चाहिए। कैबिनेट में फ़ैसला किया गया है कि ऐसे विवादों का निपटारा मंडी समिति या सिविल कोर्ट के ज़रिए करने की व्यवस्था पहले की तरह बरकरार रहनी चाहिए।