नंदीग्राम में आज राकेश टिकैत की महापंचायत, बंगाल में बीजेपी के ख़िलाफ़ उतरे किसान नेता

किसान आंदोलन के नेताओं ने पश्चिम बंगाल के किसानों से बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील की है, अगले कई दिनों तक किसान आंदोलन के बड़े नेता पश्चिम बंगाल में जगह-जगह कार्यक्रम करने वाले हैं

Updated: Mar 13, 2021, 04:29 AM IST

Photo Courtesy: AajTak
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नंदीग्राम/कोलकाता। मोदी सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों ने अब पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकैत आज पश्चिम बंगाल चुनाव के सबसे अहम संग्राम के गवाह नंदीग्राम में किसानों की महापंचायत करेंगे। इससे पहले किसान आंदोलन के नेताओं ने शुक्रवार को कोलकाता में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके अपना रुख़ साफ़ कर दिया है। किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल के किसानों से बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील की है। ज़ाहिर है कि राकेश टिकैत भी आज अपनी किसान महापंचायत में कुछ इसी तरह की बात कर सकते हैं।

हालांकि, किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल जाने से पहले साफ़ किया था कि वो किसी भी दल के समर्थन में वोट नहीं मांगेंगे। लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि उनका मकसद बीजेपी को टक्कर देने वाले दूसरे दलों के प्रत्याशी को जिताना है। ऐसे में साफ़ है कि कम से कम नंदीग्राम में तो उनकी महापंचायत का असर ममता बनर्जी के हक़ में ही रहने वाला है। नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ख़ुद चुनाव लड़ रही हैं। बीजेपी ने यहाँ कभी ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी रहे दलबदलू नेता शुभेंदु अधिकारी को मैदान में उतारा है। नंदीग्राम शुभेंदु अधिकारी का ही गढ़ माना जाता है।

राकेश टिकैत के साथ ही किसान संगठनों के कई और वरिष्ठ नेता पश्चिम बंगाल पहुंच चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के तमाम नेता अगले कई दिनों तक बंगाल की राजधानी कोलकाता के अलावा नंदीग्राम,  सिंगूर और आसनसोल समेत कई जगहों पर लगातार रैलियां, रोड शो, जनसभाएं और किसान महापंचायतें करेंगे। दरअसल उन्होंने नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने का सिलसिला शुक्रवार से ही शुरू कर दिया है। मोदी सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों का आंदोलन सौ से भी ज़्यादा दिनों से जारी है। किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर जारी प्रदर्शन के चार महीने पूरे होने पर 26 मार्च को भारत बंद बुलाया है।

अगले कई दिनों तक किसान नेता पश्चिम बंगाल में जगह-जगह इसी तरह के कार्यक्रम करने वाले हैं। इन पंचायतों, जनसभाओं और रैलियों में राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल,  हन्नान मोल्ला और गुरुनाम सिंह चढूनी, जैसे वरिष्ठ किसान नेताओं के साथ-साथ योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर के शामिल होने की भी उम्मीद है।ये नेता किसानों- मजदूर और आम जनता को नए कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान को बताएंगे। ज़ाहिर है कि किसान नेताओं के इस रुख़ का फ़ायदा पश्चिम बंगाल में बीजेपी को टक्कर देने वाले  विपक्षी दलों को ही होगा।