नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ बवाल, संसद में घुसे Gen-Z प्रदर्शनकारी, 18 की मौत

रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम आवास के पास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है।

Updated: Sep 08, 2025, 05:49 PM IST

फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सएप, यूट्यूब जैसे 26 ऐप बैन होने के बाद नेपाल में भारी बवाल शुरू हो गया है। इस बार आंदोलन की बागडोर युवाओं ने अपने हाथों में संभाल रखी है। नेपाल का Gen-Z सड़क पर उतर आया है, संसद में घुस गया है और संसद भवन के गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम आवास के पास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सोशल मीडिया पर बैन और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ 12 हजार से ज्यादा युवा प्रदर्शनकारी सोमवार सुबह संसद भवन परिसर में घुस गए थे, जिसके बाद सेना ने कई राउंड फायरिंग की। नेपाल के इतिहास में संसद में घुसपैठ का यह पहला मामला है। नेपाल में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 200 से ज्यादा युवा घायल भी हुए हैं।

काठमांडू प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वाले को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं। दरअसल, नेपाल सरकार ने 3 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगाने का फैसला किया था। इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। मंत्रालय ने 28 अगस्त से सात दिन की समय सीमा दी थी, जो 2 सितंबर को खत्म हो गई। इसके बाद इन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया। 

इसके बाद देश के युवाओं ने प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार कर लिया। नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा है कि जेन-जी पीढ़ी के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इसके लिए मंच तलाशने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। विदेशों में रह रहे नेपाली युवाओं ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार और असमानता खत्म नहीं हुई तो और ज्यादा पढ़े-लिखे युवा देश छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे।

नेपाल की कई मशहूर सेलिब्रिटिज ने प्रदर्शनकारियों का सपोर्ट किया है। एक्टर मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंश आचार्य ने फेसबुक पर युवाओं की तारीफ की।
आचार्य ने एक नई सड़क के जल्दी बिगड़ने पर कहा कि मैं रोज सोचता था कि यह सड़क इतनी जल्दी क्यों खराब हो गई। लेकिन युवा सिर्फ सोचते नहीं, सवाल पूछते हैं। यह क्यों टूटी? कैसे? कौन जिम्मेदार? यह एक उदाहरण है। युवा सिस्टम के खिलाफ नहीं, बल्कि नेताओं की गलतियों के खिलाफ हैं। उन्होंने नेताओं से कहा कि अच्छा काम करें और जिम्मेदारी युवाओं को दें।

Gen-Z का मतबल 1995 के बाद पैदा हुए लोगों से है, जो अब 18 से 30 वर्ष के बीच के युवा हैं, जो इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के साथ बड़े हुए हैं। वे डिजिटल नागरिक हैं, दुनिया में क्या चल रहा है उससे अवगत हैं, न्याय और समानता क्यों जरूरी है, उसके प्रति सचेत हैं। इंस्टाग्राम जैसे फेमस प्लेटफॉर्म के नेपाल में लाखों यूजर्स हैं जो इंटरटेनमेंट, न्यूज और बिजनेस के लिए उन पर निर्भर हैं।