Supreme Court: महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमीशन वाली याचिका खारिज

Permanent Commission for Women Army Officers: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कट-ऑफ तारीख में ढील दी जाएगी तो इसका कोई अंत नहीं होगा

Updated: Sep 04, 2020, 05:04 AM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित तारीख 17 फरवरी के बाद सेना में 14 साल की नौकरी पूरी करने वाली महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमीशन के लाभ प्रदान करने की याचिका पर विचार करने से  इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारियों द्वारा मांगी राहत एक तरह से उसके फैसले पर पुनर्विचार करना है और यदि वह इसकी अनुमति देता है तो अधिकारियों के दूसरे बैच भी इसी तरह की राहत मांग सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले मे केंद्र सरकार को सभी सेवारत एसएससी महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने पर तीन महीने के भीतर विचार करने का निर्देश दिया था चाहें वे 14 साल की सेवा की सीमा पार कर चुकी हों या सेवा के 20 साल।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि एक बार के उपाय के रूप में पेंशन योग्य सेवा की अवधि 20 साल तक पहुंचने का लाभ उन सभी मौजूदा एसएससी अधिकारियों को मिलेगा जो 14 साल से ज्यादा समय से सेवारत हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर विचार की इच्छुक नहीं है क्योंकि इसमें जो राहत मांगी गई है, वह फैसले पर पुनर्विचार के समान है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह आवेदन 19 महिला अधिकारियों ने दायर किया है जो मार्च में सेवानिवृत्त हुयी हैं और वे स्थाई कमीशन के लाभ चाहती हैं। लेखी ने कहा कि न्यायालय द्वारा निर्धारित तारीख फैसले का दिन अर्थात 17 फरवरी है, लेकिन कट आफ तारीख स्वीकार करने और स्थाई कमीशन प्रदान करने का सरकार का आदेश 17 जुलाई को आया।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘अगर हम कट-ऑफ तारीख में ढील देंगे तो इसका कोई अंत नहीं होगा। हम कहां लाइन खींचे? इसे लेकर मैं चिंतित हूं।’’

पीठ ने फैसले का उल्लेख किया और कहा कि इसमें सिर्फ एकबार के उपाय के रूप में निर्देश दिया गया था। पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इन महिला अधिकारियों ने मार्च में सेवा में 14 साल पूरे किए हैं और हमने अपने फैसले की तारीख को कट-ऑफ तारीख निर्धारित किया था। सरकार का आदेश बाद में आया। हम कहां तक जा सकते हैं?’’

केन्द्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमणियन ने इस आवेदन का विरोध किया और कहा कि इसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि मौजूदा आवेदकों ने शीर्ष अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने की तारीख 17 फरवरी को 14 साल की सेवा पूरी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्थाई कमीशन के बारे में 16 जुलाई को आदेश पारित किया और 17 फरवरी की तारीख तक 14 साल की सेवा पूरी करने वाली सभी महिला सैन्य अधिकारियों को पेंशन और दूसरे लाभ मिलेंगे।

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उन्होंने कहा कि अगर न्यायालय ने इस मुद्दे को खुला रहने की इजाजत देगा तो यह सरकार के लिये लागू करना मुश्किल हो जाएगा।

पीठ ने लेखी से कहा, ‘‘अब, अगर हम इसका लाभ (आवेदकों को) देते हैं तो हमें इनके बाद वाले बैच के अधिकारियों को भी देना होगा।’’

पीठ ने कहा कि इसके गंभीर निहितार्थ होंगे क्योंकि प्रत्येक बैच सेवा में 14 साल पूरे करेगा। पीठ ने लेखी से कहा कि वह इस आवेदन को वापस लें और उन्हें स्थाई कमीशन देने के उनके आवेदनों पर बोर्ड द्वारा विचार किए जाने का इंतजार करें।