मनमोहन सिंह के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक, राजकीय सम्मान के साथ कल होगा अंतिम संस्कार

पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। केंद्र सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है और शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।

Updated: Dec 27, 2024, 01:23 PM IST

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। साथ ही शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार सुबह उनके आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इससे पहले राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे बेलगावी से देर रात दिल्ली पहुंचने के बाद सीधे मनमोहन सिंह के आवास गए थे। राहुल ने X पर लिखा था कि मैंने अपना मार्गदर्शक और गुरु खो दिया।

इस बीच, कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) मीटिंग रद्द कर दी गई। कांग्रेस स्थापना दिवस से जुड़े आयोजन भी कैंसिल हो गए हैं। पार्टी के इवेंट 3 जनवरी के बाद शुरू होंगे। मनमोहन का पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय में रखा जाएगा, जहां आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। 

जानकारी के मुताबिक, मनमोहन का अंतिम संस्कार कल होगा। उनकी बेटियां आज शाम तक अमेरिका से भारत आ जाएंगी। अंतिम संस्कार किस जगह होगा, इसका फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) करेगा।मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रपति भवन का राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है। कांग्रेस मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर भारतीय टीम ने भी शोक जताया है। मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट खेल रही भारतीय टीम काली पट्टी बांधकर मैदान में उतरी। मनमोहन सिंह 3 अप्रैल को राज्यसभा से रिटायर हुए थे। वे 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा पहुंचे थे। तब से करीब 33 साल तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। छठी और आखिरी बार वे 2019 में राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने थे।

सिंह साल 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे थे। साल 1991 में मनमोहन सिंह की राजनीति में एंट्री हुई जब 21 जून को पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। उस समय देश एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। पी.वी. नरसिंह राव के साथ मिलकर उन्होंने विदेशी निवेश का रास्ता साफ किया था। वित्त मंत्री रहते उन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू किया, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला और भारत को विश्व बाजार से जोड़ा जा सका।

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उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई सुधार किए, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई। वह 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता भी रहे। हालांकि, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली जीत के बाद उन्होंने 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने यूपीए-1 और 2 में प्रधानमंत्री का पद संभाला। मनमोहन सिंह ने पहली बार 22 मई 2004 और दूसरी बार 22 मई, 2009 को प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली थी।