फिर टल गई शबनम की फांसी, अपने ही परिवार के सात लोगों की हत्या की मुजरिम है

शबनम के वकील ने एक बार फिर दया याचिका राज्यपाल के पास भेज दी है, इसलिए शबनम की फांसी की ताऱीख तय नहीं हो सकी है

Updated: Feb 23, 2021, 01:48 PM IST

Photo Courtesy : TV 9
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लखनऊ। अपने ही परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से काट डालने की दोषी शबनम की फांसी एक बार फिर टल गई है। आज शबनम की फांसी की तारीख मुकर्रर होनी थी लेकिन शबनम की दया याचिका लंबित होने की वजह से अदालत  तारीख तय नहीं कर सकी। हालांकि पहले उसकी दया याचिका राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक खारिज कर चुके हैं, लेकिन शबनम के वकील ने एक बार फिर से राज्यपाल के पास दया याचिका भेजी है।

मंगलवार को अमरोहा जिला जज की अदालत में शबनम की फांसी की तारीख तय होनी थी। लिहाज़ा कोर्ट ने शबनम के वकील से केस का पूरा ब्यौरा माँगा था। लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह पता चला कि शबनम की एक दया याचिका उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल के पास लंबित है।

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दरअसल दोषी की दया याचिका जब तक लंबित होती है, तब तक उसकी फांसी की तारीख पर अंतिम मुहर नहीं लग सकती। लिहाज़ा कोर्ट शबनम की फांसी की तारीख तय नहीं कर पाई। अब जब तक उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शबनम की दया याचिका पर कोई निर्णय नहीं लेती हैं, तब तक शबनम की फांसी की तारीख तय नहीं की जा सकती। शबनम का बेटा ताज और अयोध्या के महंत भी शबनम की फांसी रोकने की बात कह चुके हैं। 

क्या है मामला 

यह मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले के बाबनखेड़ी गाँव का है। उस समय बाबनखेड़ी गाँव मुरादाबाद ज़िले में  आता था। 14 अप्रैल 2008 को शबनम ने अपने माता पिता सहित परिवार के सात लोगों को पहले ज़हर दिया और फिर कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला। शबनम के इस जुर्म में उसका प्रेमी सलीम भी शामिल था। शबनम ने अपने सात महीने के भतीजे को भी नहीं बख्शा था। शबनम और उसके प्रेमी को सभी अदालतों ने फांसी की सज़ा सुनाई। शबनम हत्या के समय गर्भवती थी। दिसंबर 2008 में उसने अपने बच्चे को जेल में ही जन्म दिया।

2015 में जब शबनम का बेटा 7 साल का हो गया तो उसने अपने बेटे को उस्मान सैफी के हवाले कर दिया। शबनम ने उस्मान सैफी की किसी समय में आर्थिक सहायता की थी। शबनम की मदद से ही उस्मान ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उस्मान का कहना है कि शबनम ने इतना जघन्य अपराध क्यों किया उसे नहीं पता, लेकिन जिस शबनम को वो जानता था वह नेकदिल और अच्छी इंसान थी। उस्मान ही शबनम के बच्चे को गोद लेकर उसकी परवरिश कर रहा है।