Child Care Leave: बच्चे की देखभाल के लिए अब अकेले पिता को भी मिलेगी छुट्टी
दिव्यांग बच्चे के लिए सिर्फ 22 साल तक उम्र की बाध्यता भी हुई ख़त्म... अब किसी भी उम्र के दिव्यांग बच्चे के लिए माता-पिता ले सकेंगे अवकाश
दिल्ली। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के हित में एक अहम फैसला लिया है। इस फैसले में बच्चों की देखभाल के लिए महिलाओं को मिलने वाली चाइल्ड केयर लीव का फायदा अब सिंगल मेल पैरेंट को भी मिलेगा। इस फैसले का फायदा सभी सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा। इसमें पात्र को 730 दिनों की पेड लीव का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि सरकारी पुरुष कर्मचारी अब अपने बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी ले सकते हैं। इसमें वैसे पुरुष कर्मचारी शामिल होंगे जो कि सिंगल मेल पैरेंट हैं यानी विधुर, तलाकशुदा या अविवाहित व्यक्ति। जिन सिंगल पैरेंट पर अपने बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी हो वो इसका फायदा उठा सकेंगे। जितेंद्र सिंह ने इस फैसले को कर्मचारियों के लिए एक अहम् सुधार बताया है और ये भी दावा किया कि इसके आदेश कुछ समय पहले ही जारी कर दिए गए थे लेकिन किन्हीं कारणों से इसका पर्याप्त प्रचार नहीं हो पाया था।
उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रावधान में थोड़ी और ढील दी गई है। बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश लेने वाला कोई भी कर्मचारी अब अपने उच्च अधिकारी को पूर्व सूचना देकर अपना मुख्यालय छोड़ सकता है। पहले साल इस चाइल्ड केयर लीव को 100% वेतन के साथ उपयोग किया जा सकता है। जबकि दूसरे साल इसे 85% वेतन के साथ सैलरी लीव की तरह उपयोग कर सकते हैं।
जितेंद्र सिंह ने चाइल्ड केयर लीव में हुए एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में बताते हुए कहा कि किसी दिव्यांग बच्चे के मामले में चाइल्ड केयर लीव बच्चे के 22 साल तक दिए जाने वाले प्रावधान को हटा दिया गया है। जिसका मतलब है कि दिव्यांग बच्चे वाले पैरेंट अब बच्चे के 22 साल से ऊपर होने के बाद भी चाइल्ड केयर लीव के हकदार होंगे।
आपको बता दे सरकारी कर्मचारी महिलाओं को सरकार द्वारा अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए 730 दिनों की सैलरी के साथ अवकाश देने का प्रावधान है। इसमें 365 दिनों तक 100% वेतन के साथ और अगले 365 दिन 80% वेतन के साथ महिलाओं को छुट्टी का प्रावधान है। इसके अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी महिला अपने बच्चे के 18 साल पूरे होने से पहले यह छुट्टी ले सकती है। वही दिव्यांग बच्चा होने पर यह उम्र बाध्यता 22 साल की थी। पर अब इसमें संशोधन कर इसे सिंगल मेल पैरेंट को भी देना तय कर दिया गया है।