श्रीलंका को चीन का सहयोगी न बनने दे विदेश नीति में फेल मोदी सरकार, सुब्रमण्यम स्वामी ने फिर बोला हमला
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मोदी सरकार पहले ही कई विदेश नीतियों में फेल हो चुकी है, ऐसी परिस्थिति में उसे श्रीलंका को चीन का सहयोगी बनने से रोकना चाहिए

नई दिल्ली। मोदी सरकार की विफल नीतियों पर मुखरता से टिप्पणी करने वाले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। बीजेपी सांसद ने इस मर्तबा श्रीलंका के संदर्भ में मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को हिदायत भी दी है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मोदी सरकार को अगर हिंद महासागर में अपना एक और सहयोगी नहीं खोना है तो उसे श्रीलंका की राजपक्षे सरकार को दस बिलियन डॉलर का लोन दे देना चाहिए। ताकि श्रीलंका को चीन का सहयोगी बनने से रोका जा सके। बीजेपी नेता ने कहा है कि मोदी सरकार की पहले ही कई विदेश नीतियां विफल हो चुकी हैं। ऐसी परिस्थिति में उसे कम से कम श्रीलंका के मामले में विफलता का स्वाद चखने से बचना चाहिए।
If India wants an ally for the Indian Ocean long term then India must give deferred interest $10 billion loan to the Rajapaksa government now or face China getting one more junior partner. Modi govt has failed in so many foreign policy issues. Let not Sri Lanka be another
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 30, 2021
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा कि अगर मोदी सरकार हिंद महासागर में लंबे समय के लिए अपना एक सहयोगी चाहती है तो उसे श्रीलंका की राजपक्षे सरकार को दस बिलियन डॉलर का लोन दे देना चाहिए। अन्यथा मोदी सरकार चीन को एक अन्य जूनियर पार्टनर मिलता देखती रहे। वैसे भी मोदी सरकार की कई विदेश नीतियां फेल हो चुकी हैं, कम से कम श्रीलंका को भी अपनी विदेश नीति की विफलता की इस कड़ी का हिस्सा न बनने दें।
सुब्रमण्यम स्वामी अमूमन अपनी पार्टी की सरकार की विफल नीतियों को लेकर टिप्पणी करते रहे हैं। स्वामी विदेश नीति से लेकर आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता की पोल खोलने से तनिक भर भी परहेज नहीं करते। हाल ही में मथुरा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधते हुए दोनों को घमंडी और अज्ञानी तक करार दे दिया था। बीजेपी नेता ने कहा था कि दोनों को ही अर्थशास्त्र का कोई ज्ञान नहीं है और न ही दोनों नेता कोई भी फैसला करने से पहले सलाह मशविरा करने में कोई दिलचस्पी रखते हैं।