सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून पर मांगा केंद्र सरकार से जवाब, कहा, आजादी के 75 साल बाद भी क्यों है इस कानून की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को देशद्रोह कानून पर नोटिस जारी किया है, उच्चतम न्यायालय ने पूछा है कि आखिर आजादी के इतने साल बीतने के बाद इस औपनिवेशिक कानून की क्यों ज़रूरत है?

Publish: Jul 15, 2021, 07:55 AM IST

नई दिल्ली। देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर आजादी के 75 साल बाद भी इस कानून की जरूरत क्यों है? सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में सेवानिवृत मेजर जनरल एसजी वोंबटेकरे ने देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए याचिका दाखिल की है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, जस्टिस एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 124 के तहत लगाया जाने वाला देशद्रोह कानून संवैधानिक तौर पर वैध नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून संविधान द्वारा प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने का काम करता है। 

याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को चीफ जस्टिस रमन्ना ने कहा कि गांधी और बाल गंगाधर तिलक जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिहाज से ब्रिटिश सरकार इस कानून का इस्तेमाल करती थी। लिहाजा आजादी के इतने अरसे बाद भी इस औपनिवेशिक कानून की जरूरत क्यों है? 

कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस इस कानून का उपयोग किसी को भी फंसाने के लिए कर सकती है, क्योंकि इस कानून के इस्तेमाल पर किसी के दोषी साबित होने की संभावना बहुत है। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए देशद्रोह के कानून की संवैधानिक वैधता के मसले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया।