Tek Fog: वह ऐप जो बीजेपी आईटी सेल को नफरत और प्रोपेगैंडा फैलाने में करता है मदद

द वायर ने दो साल की पड़ताल में पाया है कि बीजेपी आईटी सेल से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर नफरत और प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए टेक फॉग ऐप का इस्तेमाल करते हैं

Updated: Jan 06, 2022, 06:26 PM IST

Photo Courtesy: Thewire
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नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर सुनियोजित तरीके से प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी की आईटी सेल विश्वविख्यात है। प्रोपेगैंडा के जरिए जनमानस की सोच और दृष्टिकोण को बदलना आईटी सेल के लिए बेहद छोटा टास्क माना जाता है। लेकिन सवाल उठते हैं कि आखिर आईटी सेल सोशल मीडिया पर नफरत, झूठ, प्रोपेगैंडा फैलाने अथवा नॉर्मल ट्रेंड्स के साथ छेड़छाड़ जैसे काम इतनी आसानी से कैसे करती है। देश की प्रमुख खोजी पत्रकारिता संस्थान द वायर ने अपने दो साल की पड़ताल में उस हथियार का पता लगा लिया है जिसने बीजेपी आईटी सेल को नफरत और प्रोपेगैंडा की दुनिया का बादशाह बनाया है।

इस ऐप को समझने के लिए हम आपको फ्लैशबैक में ले चलेंगे। अप्रैल-मई 2020 में जब लॉक डाउन के कारण प्रवासी मजदूर सड़कों पर थे तब केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा आलोचना झेल रही थी। सरकार ने मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी और वे हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों तक जाने के लिए पैदल निकल पड़े थे। लेकिन इस दौर में भी ट्विटर पर अधिकांश ट्रेंडिंग हैशटैग कांग्रेस के खिलाफ होते थे। मसलन जब केंद्र के फैसलों के कारण मजदूर सड़कों पर थे तब ट्रेंड होते थे "कांग्रेस अगेंस्ट लेबर्स" यानी मजदूर विरोधी कांग्रेस। 

अप्रैल 2020 में ही आरती शर्मा नाम की एक यूजर ने ट्वीट में खुद को बीजेपी आईटी सेल की असंतुष्ट कर्मचारी के रूप में पेश किया। यूजर ने बताया कि वह साल 2014 से आईटी सेल के लिए काम कर रही थी। उसने लिखा कि, 'साल 2018 में कहा गया था कि यदि केंद्र में दोबारा बीजेपी की सरकार बनती है तो उन्हें सरकारी नौकरी दी जाएगी। लेकिन इन झूठों ने हमें बलि का बकरा बनाया है।

28 अप्रैल 2020 को आरती शर्मा नाम की यूजर ने पहली बार टेक फॉग नामक गोपनीय ऐप के वजूद का जिक्र किया। यूजर के ट्वीट के मुताबिक यह ऐप रीकैप्चा को बायपास कर जाता है और इसका उपयोग ऑटोमेटिक ट्रेंड्स के लिए किया जाता है। मीडिया संस्थान द वायर के इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट यूजर तक पहुंचे और पड़ताल के लिए लगातार पूरे दो साल तक संपर्क में रहे, जिसके बाद कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं।

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक यूजर/मुखबिर ने बताया कि उसका हैंडलर तत्कालीन भाजयुमो का नेशनल आईटी प्रमुख देवांग दवे था। संस्था ने मुखबिर के दावों की स्वतंत्र रूप से जांच की तो उसमें पता चला कि टेक फॉग (Tek Fog) नाम का एक ऐप सच में वजूद में है और सोशल मीडिया पर हर गलत कार्यों में मददगार है। इस ऐप के माध्यम से ट्रेंड्स को हाईजैक करना, बीजेपी से जुड़े कई वॉट्सऐप ग्रुप बनाना, उन्हें चलाना और टेक फॉग ऐप के जरिये पार्टी की आलोचना करने वाले पत्रकारों को ऑनलाइन प्रताड़ित करना शामिल है।

रिपोर्ट के मुताबिक दावों के सत्यापन के लिए वर्तमान में संगठन के लिए काम कर रहे मुखबिरों से भी बातचीत की। मुखबिरों में उन्हें कई स्क्रीनशॉट्स भेजे और नियोक्ता द्वारा काम के बदले हुई भुगतान का विवरण भी साझा किया। मौजूद सबूतों के तार आपस में जोड़ने के बाद इंवेस्टिगेटर्स को एक बड़े ऑपरेशन का पर्दाफाश करने में कामयाबी मिली, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सार्वजनिक बहसों को भटकाने के लिए कदमताल मिलाकर काम करने वाले सरकारी और निजी शक्तियों के गठबंधन की ओर इशारा कर रहा था। 

रिपोर्ट के मुताबिक टेक फॉग ऐप का इस्तेमाल दक्षिणपंथी प्रोपगैंडा को कई गुना फैलाने, झूठे कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के व्यापक और अलग-अलग यूजर्स के वर्गों तक पहुंचाने के लिए किया जाता है। इस तरह से अतिवादी नैरेटिव और राजनीतिक अभियानों की लोकप्रियता को वास्तविकता से कहीं ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। जांच में पता चला की सोर्स को कांग्रेस अगेंस्ट लेबर्स ट्रेंड कराने का टास्क मिला था। सोर्स का टारगेट 55 हजार फर्जी ट्वीट जनरेट करना था लेकिन तय समय पर 57 हजार यानी टारगेट से दो हजार ज्यादा ट्वीट जेनरेट हो गए। 

स्क्रीनशॉट् में यह बताया गया है कि किस तरह काम शुरू करने के पहले दो घंटे में 1,700 खातों का इस्तेमाल करते हुए हैशटैग को पोस्ट किया था। रिपोर्ट के मुताबिक इस ऐप से न केवल फर्जी ट्वीट किए जाते हैं बल्कि फर्जी सोशल मीडिया हैंडल्स बनाए जाते हैं और उनसे ऑटो पोस्ट, कमेंट और शेयरिंग की जाती है। यह ऐप एक और खतरनाक काम को अंजाम देता है जो कि प्राइवेट ऑपरेटरों को आम नागरिकों के निष्क्रिय वॉट्सऐप अकाउंट्स को हाईजैक करने और उनके फोन नंबरों का इस्तेमाल करके सर्वाधिक बार संपर्क किए जाने वाले या सभी नंबरों को संदेश भेजने की शक्ति देता है। ऐसा 'टोकन थेफ्ट' तकनीक से मिलती-जुलती तकनीक का इस्तेमाल करके किया जाता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक महिला पत्रकारों को अपशब्द कहने से लेकर उन्हें ऑनलाइन प्रताड़ित करने के लिए भी इस ऐप का इस्तेमाल किया जाता है। 1 जनवरी 2021 से लेकर 31 अप्रैल 2021 के बीच ट्विटर पर सबसे अधिक रिट्वीट होने वाली 280 महिला पत्रकारों के पोस्ट पर आए 46 लाख कमेंट्स का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि इनमें 8 लाख से ज्यादा कमेंट्स टेक फॉग द्वारा संचालित फेक अकाउंट्स से दिए गए थे, जिनमें अधिकांश गाली-गलौज थे।

इस ऐप की एक अहम विशेषता यह है भी कि हैंडलर मिनटों के भीतर सभी मौजूद खातों को डिलीट कर सकता है या उसे बदल सकता है। अर्थात वे अपने अतीत की सभी गतिविधियों (पोस्ट, कमेंट, शेयर्स) को जो उनके अपराध साबित कर सकते हैं, उन्हें नष्ट कर सकता है।