नियमों का पालन करते हुए हाथी रखने में कोई समस्या नहीं, वंतारा को बदनाम न करें: सुप्रीम कोर्ट
वंतारा जूलॉजिकल और रेस्क्यू सेंटर को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी है। पूर्व जज जे. चेलमेश्वर की अगुवाई वाली एसआईटी टीम की जांच में केंद्र ने ज्यादातर नियमों का पालन किया है। शीर्ष अदालत ने एसआईटी की इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।

दिल्ली। देश के सबसे चर्चित एनिमल रेस्क्यू प्रोजेक्ट्स में से एक वडोदरा का वंतारा जूलॉजिकल और रेस्क्यू सेंटर को लेकर विवाद थमता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एसआईटी रिपोर्ट में साफ कर दिया गया है कि रेस्क्यू सेंटर पर लगे आरोपों का कोई सबूत नहीं मिले हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने SIT की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि वनतारा पूरी तरह से कानूनों का पालन कर रहा है, इसे बदनाम न करें।
दरअसल, कुछ समय पहले वंतारा पर आरोप लगे थे कि जानवरों के बचाव और पुनर्वास की आड़ में वहां हाथियों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियां हो रही हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जे. चेलमेश्वर कर रहे थे।
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एसआईटी ने वंतारा के कामकाज, नियमों के पालन और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की गहराई से जांच की। जांच में पाया गया कि वंतारा ने ज्यादातर नियमों का पालन किया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानते हुए जांच एजेंसियों से पूरा सहयोग किया है। जांचकर्ताओं ने अपने रिपोर्ट में वंतारा की संचालन व्यवस्था को संतोषजनक बताया है।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को ही जमा कर दी थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने आज यानी सोमवार को रिपोर्ट का अवलोकन किया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट में वंतारा के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं हो पाए हैं जिसके बाद अधिकारीयों ने उन्हें अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी।
शीर्ष अदालत में जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना वराले की बेंच ने पहले तो इतने कम समय में रिपोर्ट तैयार कर जमा करने के लिए एसआईटी टीम की सराहना की। उसके बाद वंतारा पर लगे आरोपों की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई नियमों का पालन करते हुए हाथी रखना चाहता है तो इसमें दिक्कत क्या है। हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोर्ट ने कोई आदेश पारित नहीं किया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मंदिर के हाथियों को छीनने का मुद्दा उठाया। जिसके बाद जजों की बेंच ने उनसे सवाल किया कि आखिर उन्हें कैसे पता कि इन मंदिर के हाथियों का वहां अच्छे से ध्यान नहीं रखा जा रहा है? साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश में कई चीजें हैं जिनपर हमें गर्व करना चाहिए। ना कि उन्हें विवादों में उलझाना चाहिए।