मोदानी की पीली दाल में कुछ तो काला है, पीली मटर के सस्ते आयात पर कांग्रेस ने केंद्र को घेरा

जयराम रमेश ने कहा कि पीली मटर के सस्ते आयात से जहां किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं पीली मटर के सबसे बड़े आयातक अडानी समूह को भारी फायदा हुआ है।

Updated: Oct 07, 2025, 05:41 PM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने पीली मटर के आयात पर सीमा शुल्क में भारी छूट को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इससे देश के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि इससे इसके सबसे बड़े आयातक अडानी समूह को भारी फायदा हुआ है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘‘मोदानी की पीली दाल में कुछ तो काला है। 2024-25 में भारत ने 67 लाख टन से ज़्यादा दालों का आयात किया, जिनमें से लगभग 30 लाख टन पीली मटर थी। पीली मटर पर आयात शुल्क न होने के कारण, आयात की गई मटर घरेलू दालों की तुलना में काफी कम कीमत पर बाजार में पहुंच रही है।’’ 

उन्होंने कहा कि आयातित मटर की कीमत 3,500 रुपये प्रति क्विंटल है, जो घरेलू दालों के 7,000-8,000 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी का लगभग आधा है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसका नतीजा यह हुआ कि सस्ते आयात ने बाजार में बाढ़ ला दी है, जिससे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए घरेलू दालें प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही हैं और उनके लिए यह लाभकारी नहीं रह गया है। इसकी वजह से जहां किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं पीली मटर के सबसे बड़े आयातक- अडानी समूह- को इससे भारी फायदा हुआ है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘उच्च खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए दिसंबर 2023 में पीली मटर पर 50 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क ‘‘अस्थायी रूप से’’ समाप्त कर दिया गया था। हालांकि, किसानों द्वारा बार-बार की गई अपील के बावजूद सरकार ने इस फैसले को जारी रखा। यहां तक कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी), नीति आयोग और उच्चतम न्यायालय जैसी संस्थाओं ने भी किसानों की सुरक्षा के लिए बिना रोक-टोक आयात पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी थी।’’

रमेश ने दावा किया कि फिर भी केंद्र सरकार ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया और पीली मटर पर सीमा शुल्क में छूट जारी रखी और अब तो यह छूट मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह एक और स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे तथाकथित ‘आत्मनिर्भर भारत’ वास्तव में ‘मोदानी-निर्भर भारत’ बनकर रह गया है।’’ बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने पीली मटर के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर बीते 25 सितंबर को केंद्र से जवाब मांगा था। याचिका में तर्क दिया गया है कि पीली मटर की आपूर्ति से दाल उत्पादक किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है। पीली मटर को दालों का विकल्प माना जाता है।