शराब पीने वाले हिंदुस्तानी नहीं, वो महापापी हैं: बिहार सीएम नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि ज़हरीली शराब से जिन लोगों की मौत हुई हैं, उनको कोई राहत नहीं दी जाएगी, शराब पीने वालों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है

Updated: Mar 31, 2022, 06:24 AM IST

पटना। बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए नीतीश सरकार ने पूरे सरकारी तंत्र को लगा दिया है। लेकिन इसके बावजूद राज्यभर में शराब बिक रहे हैं। शराब तस्करों के सामने सरकार की एक नहीं चल रही है। शराबबंदी कानून को लेकर चौतरफा हमला झेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब शराब पीने वालों पर अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने शराबियों को पापी करार दिया है।

दरअसल, बुधवार को बिहार सरकार ने अपने शराबबंदी कानून में संशोधन किया है। इस विधेयक पर बिहार विधान परिषद में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोलने के लिए उठ गए। उन्होंने कहा कि अगर कोई राष्ट्रपिता बापू की भावना को नहीं मानता है तो वह हिंदुस्तानी नहीं है. वो भारतीय तो है ही नहीं। काबिल भी नहीं है, वो महाअयोग्य और महापापी है।

नीतीश कुमार ने आगे कहा कि, 'ज़हरीली शराब से जिन लोगों की मौत हुई हैं। उनको कोई राहत नहीं दी जाएगी। शराब पीने वालों के साथ कोई सहानुभूति नहीं है। शराबियों को बचाने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है।' उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जो जहरीली शराब पी लिया और मर गया तो उसको राहत देंगे? शराब पीने गया तब न मरा। हालांकि, सीएम ने इस दौरान ये नहीं कहा कि अवैध शराब बेचने वाले माफियाओं को पकड़ने की जिम्मेदारी सरकार की है या नहीं। साथ ही वे महापापी हैं कि नहीं।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में 1.74 करोड़ लोगों ने शराब छोड़ी है। सीएम ने ये आंकड़े कैसे जुटाए इस बात की जानकारी नहीं है, लेकिन बिहार के लोग बताते हैं कि अधिकांश लोग जो पहले शराब पीते थे वे आज भी पीते हैं। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि, 'पहले राज्य में सब्जी का इतना उत्पादन नहीं होता था। जो व्यक्ति पहले शराब पीने में पैसे बर्बाद करता था। वो अब सब्जी खरीदने में पैसे खर्च करता है। देखिए अब उनके घर में कितना अच्छा भोजन होता है। जरा महिलाओं से पूछिए।'

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बता दें कि बिहार विधानसभा ने बुधवार को निषेध एवं उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। राज्य में पहली बार शराबबंदी कानून में ढील दिया गया है। संशोधित कानून के अनुसार, पहली बार अपराध करने वालों को जुर्माना जमा करने के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट से जमानत मिल जाएगी और यदि अपराधी जुर्माना राशि जमा करने में सक्षम नहीं है तो उसे एक महीने की जेल का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही जब किसी को शराबबंदी कानूनों का उल्लंघन करते हुए पुलिस पकड़ेगी तो आरोपी को उस व्यक्ति का नाम बताना होगा जिसने शराब सप्लाई किया है।

विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने आरोप लगाया कि संशोधित कानून पुलिसकर्मियों को अधिक अधिकार देगा। राज्य सरकार के इस कदम से पुलिस और शराब माफिया के बीच गठजोड़ और मजबूत होगा। राजद विधायक ऋषि कुमार ने कहा कि नया कानून जिसमें कहा गया है कि शराब पीते हुए लोगों को जेल नहीं होगी, काफी हास्यास्पद है। यह साबित करता है कि राज्य में शराबबंदी नीति विफल हो गई है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।